रामघाट पर बैग, पर्स और पजामा चोरी होने के बाद शिकायत करने थाने पहुंचे श्रद्धालु

By AV News

दिल्ली की वृद्धा रोते हुए बोली…पर्स में मोबाइल, रुपये, टिकिट रखा था अब क्या करेंगे

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन। रामघाट पर श्रद्धालुओं का सामान चोरी होने की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। होमगार्ड और पुलिसकर्मी बदमाशों को पकडऩे में नाकाम साबित हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर चोरों के शिकार लोगों की हालत यह है कि थाने में शिकायत दर्ज कराते उनके आंसू बह रहे हैं। आखिर श्रद्धालुओं की फरियाद कौन सुनेगा और कैसे रामघाट को चोरों से मुक्त कराया जायेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

चोरी होने के बाद हमारे घर लौटने और खाने का संकट खड़ा हो गया : मेरा नाम माया है औद दिल्ली की रहने वाली हूं। वृद्ध मां घिसी देवी को उज्जैन दर्शन कराने लाई थी। सुबह बारिश के दौरान रामघाट पर वृद्ध मां के साथ स्नान करने गई थी। यहां पहले मां ने स्नान किया तब तक मैं बैग के पास बैठी थी। फिर मैं नदी में नहाने गई तो मां बैग के पास बैठी। मैंने नदी में स्नान किया और बैग में रखे कपड़े मां से मांगे। वह कपड़े देने मेरे पास आई उतनी ही देर में किसी बदमाश ने बैग चोरी कर लिया जिसमें रुपये, मोबाइल के साथ ही आधार, एटीएम और ट्रेन का वापसी का टिकिट रखा था। मेरे और मां के पास न तो रुपये बचे और न ही वापसी का टिकिट अब हमारे सामने वापस दिल्ली लौटने का संकट खड़ा हो गया है।

घाट के आसपास के लोगों को घटना बताई तो चौकी पर मौजूद पुलिसकर्मी ने कहा थाने जाकर शिकायत करो। रामघाट से वृद्ध मां को पैरों में तकलीफ होने के बावजूद पैदल चलाकर थाने तक लाई हूं। थाने में बैठीं दोनों मां बेटी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। हालांकि पुलिसकर्मियों ने उन्हें समझाईश दी और मदद की बात भी कही।

रुपये चोरी का गम नहीं, लेकिन कागजात जरूरी थे

मेरा नाम मोहन मुरारी पिता यज्ञदत्त मिश्रा निवासी अजमेर रेलवे का रिटायर कर्मचारी हूं। मैं अपने दोस्त रमेशचंद्र शर्मा निवासी हमीरपुर हिमाचल प्रदेश के साथ उज्जैन दर्शन करने आया और सुबह रामघाट पर स्नान करने पहुंचा था। यहां नदी में स्नान करते समय घाट पर बैग व कपड़े रखे थे जिसे अज्ञात बदमाश ने चोरी कर लिया। मोहन मुरारी ने बताया कि मेरे बैग में मोबाइल, रेलवे का पास और दवाइयां थीं।

दवाइयां बहुत जरूरी हैं रुपये चले गये तो कोई गम नहीं। उनके दोस्त रमेशचंद शर्मा ने बताया कि मैं भी रेलवे का रिटायर कर्मचारी हूं। चोर मेरा पजामा चुराकर ले गये हैं जिसमें पर्स, मोबाइल व 14 हजार रुपये नगद के साथ रेलवे का पास, आधार, पेन कार्ड आदि कागजात थे। रमेशचंद ने बताया कि रुपये व मोबाइल चोरी हो गये तो मैंने सोचा भगवान को दान कर दिये लेकिन कागजात बहुत जरूरी हैं। रेलवे पास के बिना घर लौटना मुश्किल हो जायेगा।

आधा दर्जन से अधिक श्रद्धालु प्रतिदिन हो रहे शिकार

शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान के लिये पहुंचने वाले देश भर के श्रद्धालु प्रतिदिन चोरों के शिकार हो रहे हैं। महाकाल थाने से यहां एक प्रधान आरक्षक की ड्यूटी लगाई गई है जबकि 3 शिफ्ट में होमगार्ड के 8-8 जवान भी ड्यूटी करते हैं। लोगों ने बताया कि प्रतिदिन आधा दर्जन से अधिक चोरी की वारदातें होती हैं, जबकि महाकाल थाने में लोगों से शिकायती आवेदन लिये जा रहे हैं।

Share This Article