शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का सशक्त हथियार

परिसंवाद का आयोजन, वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. स्मिता भवालकर ने कहा
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन बाबा साहेब के लिए शिक्षा केवल साक्षरता नहीं है। यह सामाजिक परिवर्तन का सशक्त हथियार है। जब विचार करने तर्क-वितर्क द्वारा व्यवस्थाओं, घटनाओं की समीक्षा करने की क्षमता विकसित होने लगे, तब सही रूप से शिक्षित और शिक्षा की सार्थकता है।
उक्त विचार वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. स्मिता भवालकर ने डॉ. आम्बेडकर पीठ व यूजीसी नेप सारथी (नेप 2020) द्वारा आयोजित परिसंवाद में व्यक्त किए। डॉ. भवालकर ने कहा कि बाबा साहेब के इस विचार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। बाबा साहब ने जिस समानता, गुणवत्ता और सामथ्र्य की बात कही है वह एनईपी 2020 में भी है।
एनपीपी 2020 जिन मूल्यों, सिद्धांतों पर केन्द्र करती है वह यह कि शिक्षा से न केवल संज्ञानात्मक कौशल विकसित करना है बल्कि साक्षरता और संख्यात्मकता के बुनियादी कौशल के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक कौशल भी विकसित करना है। प्रो. भवालकर ने कहा कि विकास की परिभाषा सिर्फ सीमेंट, कांक्रीट की सड़कें और गगनचुंबी इमारतें नहीं है। किताब पढऩा ही शिक्षा नहीं है
परिसंवाद में विक्रम विवि के कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा विषम परिस्थिति को सम पर लाती है। डॉ. आम्बेडकर का मानना था सिर्फ किताब पढऩा शिक्षा नहीं है, विचार विमर्श करना चिन्तन करना, ज्ञान और तर्कशक्ति से अपने व्यक्तित्व का विकास करना, व्यक्तित्व में ओज पैदा करना शिक्षा का उद्देश्य है। यह सही है कि सिर्फ शिक्षा ही सशक्त मार्ग पर चलना सिखाती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का भी उद्देश्य है कि सभी नागरिकों को उच्च गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करते हुए वैश्विक ज्ञान के साथ साथ कौशल विकास और सकारात्मक सोच के साथ राष्ट्र विकास हो और विद्यार्थी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार है। यूजीसी नेप सारथियों का चयन किया है। इसमें विक्रम विवि के गुरजीत कौर गांधी, श्रेया शर्मा और श्रुति शर्मा को नेप सारथी चुना गया है। स्वागत भाषण प्रो. सत्येन्द्र किशोर मिश्र ने दिया। यूजीसी नेप सारथी (नेप 2020) की भूमिका रखते हुए नेप सारथी गुजीत कौर गांधी ने कहा कि नि:संदेह हमारा दायित्व चुनौतिपूर्ण है। संचालन डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया।