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शहर मेें भी एसी बसें मौत बनकर दौड़ रहीं…

अक्षरविश्व तत्काल: जैसलमेर की घटना से हमें भी सबक लेने की जरूरत…

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स्लीपर बसों में हादसे के वक्त बचने का वैकल्पिक मार्ग ही नहीं

उज्जैन। जैसलमेर में एसी स्लीपर बस में लगी भीषण आग ने उज्जैन शहर में भी दौड़ रही एसी बसों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां से रोजाना करीब 80  से अधिक एसी बसें गुजरती हैं इनमें भी आपातकाल में सुरक्षित बाहर निकलने के कोई इंतजाम नहीं है।

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जैसलमेर में हुए हादसे में सर्वाधिक जनहानि सिर्फ इसी कारण हुई कि घटना के तुरंत बाद यात्री बाहर नहीं निकल पाए। क्योंकि बस का एकमात्र गेट लॉक हो गया था और आपातकालीन गेट नहीं था। लगभग ऐसी स्थिति लगभग हर एसी बस मेें है। सिंगल गेट के साथ दौड़ रहीं एसी बसें कभी भी हादसे का कारण बन सकती हैं।

इन कारणों से बनती है जानलेवा स्थिति

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एक गेट, संकरा गलियारा- 2&1 स्लीपर एसी बस में 30 से 36 बर्थ होती हैं। बीच में गलियारा बेहद संकरा होता है। एक समय में एक व्यक्ति भी ठीक से नहीं चल सकता। नियमों के बाद भी बसों में आपातकालीन दरवाजा नहीं रखते। हादसे की स्थिति में एक साथ कई लोगों का एक गेट से निकलना मुश्किल है।

इमरजेंसी विंडो ऊंची- बसों में नियमों की खानापूर्ति के लिए इमरजेंसी विंडो बना दी जाती है, लेकिन उसकी ऊंचाई रोड से करीब 8-9 फीट होती है। सामान्य यात्री हादसे की स्थिति में बचने के लिए इतनी ऊंचाई से नीचे कूदेगा तो हाथ-पैर टूटना तय है।

सुरक्षा साधन- बसों में अग्निशमन यंत्र और फस्र्ट एड जैसे जरूरी सुरक्षा साधन भी नहीं होते।

अकुशल स्टॉफ- बसों में स्टॉफ आपातकालीन स्थिति में जरूरी कदम उठाने से अनभिज्ञ होता है। अधिकतर हादसों में सामने आया है कि सबसे पहले स्टॉफ ही मौके से भागता है।

मनमाना मोडिफिकेशन- सीट/बर्थ की संख्या बढ़ाने के लिए बसों में मनमाना मोडिफिकेशन बस ऑपरेटर कराते हैं। जिसमें सेफ्टी फीचर्स का ध्यान नहीं रखा जाता।

80 से अधिक स्लीपर बसें शहर से गुजरती है

उज्जैन से रोज मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात आदि प्रदेशों के प्रमुख शहरों के लिए जाने वाली 80 से अधिक स्लीपर बसें गुजरती हैं। किसी भी बस में सेफ्टी रूल फॉलो नहीं हो रहा। इमरजेंसी गेट, अग्निशमन यंत्र और डबल ड्राइवर जैसी जरूरी सुविधा भी अधिकतर बसों में नहीं है

आरटीओ की खानापूर्ति के बाद हालात फिर पुराने- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद पूरे प्रदेश में आरटीओ ने 14 दिन तक चैकिंग अभियान चलाया था। खानपूर्ति अभियान के बाद बसें अब फिर पुराने ढर्रे पर चल रही हैं। बसों में सुरक्षा उपायों की अनदेखी, गुड्स ट्रांसपोर्ट, कई गुना अधिक किराया, मनमाने स्टॉपेज, ओवरलोडिंग आदि अनियमितताएं उज्जैन से गुजरने वाली बसों में देखी जा सकती हैं।

कार्रवाई के लिए देंगे निर्देश
एसी/स्लीपर बसों में चल रही मनमानी के खिलाफ जांच के लिए परिवहन और पुलिस विभाग को निर्देश जारी करेंगे।
रौशन कुमार सिंह, कलेक्टर

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