चुनाव में पानी पिलाने के काम में कारनामा

पीएचई: 20-25 रुपए की वॉटर केन का ठेका 29 में बड़ा सवाल- क्या अब नगर निगम करेगा भुगतान?
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
आठ फर्म को सप्लाय का आर्डर, फिर भी पानी को तरसे लोग…

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:लोकसभा चुनाव मतदान के दौरान आरओ का पानी उपलब्ध कराने के काम में बड़ा खेल सामने आया है। शहर भर में 20 से25 रु. में मिलने वाली ठंडे पानी की केन का ठेका 29 रु. प्रति केन के मान से दिया गया। आठ फर्म को पानी सप्लाय का ठेका देने के बाद भी मतदान दल और मतदाता पानी को तरस गए। लोकसभा में मतदान दिवस पर मतदान दल, मतदाताओं को पानी उपलब्ध कराने की जिम्मा नगर निगम ने पीएचई को सौंपा था। आठ फर्म को 29 रु.प्रति केन की दर से ठेका दिया गया। इसके बाद भी कई जगह पानी पहुंचा ही नहीं और जहां पहुंचा वहां ठंडा नहीं था। इतना ही नहीं एक बार केन रखकर जाने वाले ने दूसरी बार मतदान केंद्र की तरफ रुख ही नहीं किया।
पुराने काम के टेंडर की बची राशि से काम
बताया जाता है कि शिव ज्योति अर्पणम् कार्यक्रम के दौरान नगर निगम व पीएचई द्वारा पीने के पानी के लिये ऑनलाईन टेंडर आमंत्रित किए थे। इसके लिए उस वक्त 30 लाख रु. स्वीकृत किए गए थे। 29 रुपये प्रति केन का रेट खुला था। शिव ज्योति अर्पणम् कार्यक्रम में पानी का उपयोग कम होने की वजह से केवल पांच लाख रु.ही खर्च हुए थे। अधिकारियों के निर्देश पीने के पानी की व्यवस्था पर शिव ज्योति अर्पणम् की शेष राशि का उपयोग चुनाव में पानी उपलब्ध कराने पर खर्च करने के निर्देश दिए।
पीएचई अधिकारियों ने एक कदम आगे बढ़ते हुए शिव ज्योति अर्पणम् कार्यक्रम में पानी के लिए तय टेंडऱ पर (29 रु.प्रति केन) को स्वीकृत कर 8 अलग-अलग फर्म को पानी सप्लाय का आर्डर जारी कर दिया। आठ फर्म को काम देने के बाद भी अव्यवस्था रही और मतदान केंद्रों पर आरओ के ठंड़े पानी का संकट बना रहा। नतीजा यह रहा कि मतदान कार्य में लगे कर्मचारियों को अपनी जेब से या फिर बीएलओ व अन्य लोगों की मदद से पानी की व्यवस्था करना पड़ी।
व्यवस्था के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी के निर्देश थे
कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतदान सामग्री वितरण से लेकर मतदान केंद्र और मतदान सामग्री पुन: जमा कराने के दौरान काम में लगे मतदान कर्मचारियों को आरओ का ठंडा पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग संधारण खंड नगर पालिक निगम उज्जैन के अफसरों को सौंपी थी। पीएचई को इंजीनियरिंग कॉलेज में पेयजल हेतु पानी की केन उपलब्ध कराने के साथ ही शहर के सभी मतदान केंद्र पर पानी की केन पर्याप्त संख्या में और खाली होने पर दुबारा भरवाने की व्यवस्था करना थी। इसके बाद मतदान कार्य सम्पन्न कराकर पुन: इंजीनियरिंग कॉलेज लौटने वाले दलों के लिये पेयजल की व्यवस्था भी कराई गई थी। शहर के अनेक मतदान केंद्र पर बीएलओ व अन्य अफसरों ने बाजार से पानी की बॉटल खरीदकर मतदान करा रहे कर्मचारियों को उपलब्ध कराया। यहां तक कि भीषण गर्मी में मतदान के लिये आने वाले लोगों को अनेक मतदान केंद्र पर पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पाया था।
तीन दिन बाद भी पता नहीं कितनी केन लगी थी
पीएचई के सहायक यंत्री शिवम दुबे लोकसभा निर्वाचन के दौरान पीने के पानी की व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। मतदान सामग्री वितरण, मतदान केंद्र और मतदान सामग्री पुन: जमा कराने के दौरान कुल कितनी केन का प्रयोग हुआ तो उनका कहना था कि अभी तक मेरे पास बिल या पानी की केन की टोटल संख्या की फाईल नहीं आई है। यह व्यवस्था आशीष जाधव देख रहे थे, जबकि आशीष जाधव का कहना है कि अभी काम पूरा नहीं हुआ है। 4 जून को मतगणना के दौरान भी पानी की केन की जरूरत पड़ेगी उसके बाद फर्म से बिल व कुल उपयोग में आई पानी की केन की संख्या प्राप्त हो पाएगी।
80 से अधिक केन नहीं मिल रही
पोलिंग बूथ पर 1500 से अधिक पानी की केन जरूरत के मान से रखी गई थी। पीएचई व फर्म के कर्मचारी मतदान समाप्ति के तत्काल बाद पानी की केन लेने पोलिंग बूथ पर भी पहुंचे थे। इस दौरान कुल पानी की केन में से करीब 80 केन अभी तक नहीं मिल पाई है। इस संबंध में पीएचई के बाबू आशीष जाधव ने बताया कि कुछ सरकारी स्कूल में पानी की केन छूट गई हैं जहां ताला लगा है इसके अलावा कुछ केन इंजीनियरिंग कॉलेज के स्ट्रांग रूम में रखी है व बस चालक अपनी बस में केन रखकर चले गये। सभी से संपर्क कर उक्त केन वापस लेने के प्रयास किये जा रहे हैं। जाधव ने बताया कि 15-20 केन नहीं मिल रही हैं।
निगमायुक्त बोले-पीएचई ने दिया ठेका
इस मामले में नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक का कहना है कि नगर निगम ने आरओ वॉटर केन व्यवस्था के लिए पीएचई को अधिकृत किया था। पीएचई के अधिकारी ही वस्तुस्थिति बता सकते है। आयुक्त पाठक की इस प्रतिक्रिया के बाद सवाल यह है कि क्या नगर निगम द्वारा २९ रु.प्रति केन के मान से भुगतान किया जाएगा। ऐसा इसलिए की केन की राशि नगर निगम द्वारा स्वीकृत की गई है।








