ननि के कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव के खिलाफ एफआईआर

मोहन सरकार ने नारी का अपमान करने वाले पर की प्रभावी कार्रवाई

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। नगर निगम में अपने रसूख के लिए ख्यात संविदा पर पदस्थ कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव के खिलाफ आखिरकार महिला पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज कर लिया गया। उस पर चार गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

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दो दिन पहले तक प्रकरण दर्ज करने से बच रही पुलिस को ताबड़तोड़ यह प्रकरण इसलिए दर्ज करना पड़ा कि बुधवार को उज्जैन पहुंचे सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसे नारी सम्मान का मामला बताते हुए तत्काल एक्शन लेने का कहा था। इसके बाद प्रकरण दर्ज होने का रास्ता साफ हो गया। भार्गव के खिलाफ बीएनएस की धारा 75 (1) i , 75(1) iv और 78(1) i, ii के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इन गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद भार्गव पर अब गिरफ्तारी के साथ बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है।

सुर्खियों में रहने वाले भार्गव पर महिला सब-इंजीनियर ने अशालीन वार्तालाप करने, मीटिंग के बहाने घर बुलाने और फिजिकल रिलेशन के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है। इस मामले की जांच दो स्तर पर हो रही है। पहली जांच नगरनिगम की विशाखा समिति उपायुक्त कृतिका भीमावद के नेतृत्व में कर रही है, जबकि दूसरी महिला पुलिस अपने स्तर पर।

अब तक क्या हुआ

विशाखा समिति ने नगर निगम में कार्यरत दो सब इंजीनियर मुकुल मेश्राम और मनोज राजवानी के बयान दर्ज किए हैं।

महिला सब इंजीनियर और पीयूष भार्गव के बयान बाकी है।

कॉल रिकॉर्डिंग की पुष्टि होना बाकी है।

महिला सब इंजीनियर ने चिमनगंज थाने, महिला थाने और एसपी कार्यालय में लिखित आवेदन दिया था। महिला थाने ने चार धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया है।

अब आगे क्या

नगर निगम का चर्चित कांड होने से लोगों की निगाह इस पर लगी हुई है। अधिकतर लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि मामले में आखिर आगे क्या होगा। इस मुद्दे को जानने के लिए अक्षरविश्व ने नगर निगम के जानकारों से चर्चा की। उनके मुताबिक यह मामला बहुत साफ है। भार्गव संविदा नियुक्ति पर हैं और उन्हें सीधे बर्खास्त किया जा सकता है। इस बर्खास्तगी के अधिकार एमआईसी को है, क्योंकि भार्गव की नियुक्ति क्लास-2 श्रेणी में है और इस वर्ग में नियुक्ति और बर्खास्तगी एमआईसी के अधिकार क्षेत्र में आती है।महिला थाने में जांच फिर गिरफ्तारी

महिला थाना पुलिस भी इस मामले में सक्रिय हो गई है। वह दोनों पक्षों के बयान दर्ज करेगी। कॉल रिकॉर्डिंग की सत्यता की जांच करेगी और इसके बाद गिरफ्तारी लेगी।

एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि मामले की जांच जारी है। दोनों पक्षों के बयान और कॉल रिकॉर्डिंग सही साबित होने पर गिरफ्तारी भी की जाएगी।

कानूनन कितनी सजा हो सकती है भार्गव को

भार्गव के खिलाफ जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज है, उसमें दंड का प्रावधान है। इसके तहत एक से तीन साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है।

बहरहाल अब देखने वाली बात यह है कि चर्चित भार्गव इस बार पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं या अपनी गहरी पकड़ के चलते बच निकलते हैं।

क्या करना होगा एमआईसी को

बर्खास्तगी के लिए एमआईसी का विशेष सम्मेलन बुलाना होगा। एक दिन के नोटिस पर यह सम्मेलन बुलाया जा सकता है। हालांकि महापौर मुकेश टटवाल को इस नियम की जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि वह मामले को दिखवाते हैं और कमिश्नर से इस संबंध में प्रस्ताव बुलवाते हैं।

रिपोर्ट का इंतजार

इधर, निगमायुक्त आशीष पाठक ने कहा कि उन्हें विशाखा समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रस्ताव बनाकर एमआईसी को देंगे। फिलहाल वह विशाखा समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।

ईई भार्गव कांड: धर्मसंकट में महापौर!

संविदा नियुक्ति के लिए पहले ही दे चुके प्रत्याशा में मंजूरी, करना पड़ेगी खारिज

उज्जैन। महिला उपयंत्री के साथ फिजिकल संबंध बनाने का प्रस्ताव देने और बातचीत के ऑडियो वायरल मामले में फंसे कार्यपालन यंत्री (ईई) को संविदा पर नियुक्ति देने के मामले में महापौर मुकेश टटवाल धर्मसंकट में फंस गए हैं, क्योंकि वे एमआईसी की प्रत्याशा में संविदा नियुक्ति की स्वीकृति दे चुके हैं और भार्गव ज्वाइन भी हो चुके हैं। अब एमआईसी इस स्वीकृति को खारिज कर सकती है। इस मामले में फैसला होना बाकी है। इसलिए कल 21 फरवरी को होने वाली एमआईसी अहम हो गई है। निगम के कार्यपालन यंत्री भार्गव और प्रेमचंद यादव 2023 में रिटायर्ड हो चुके हैं।

दोनों को संविदा पर दोबारा नियुक्ति दी गई है। भार्गव की संविदा अवधि बढ़ाने के लिए एमआईसी की मंजूरी के लिए प्रस्ताव होली पहले हुई बैठक में प्रस्ताव रखा गया है और इसकी अभी पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार महापौर इस मामले में पहले ही स्वीकृति दे चुके हैं, जिसके आधार पर दोनों अधिकारियों की संविदा अवधि बढ़ाई जा चुकी है। इस कारण महापौर धर्मसंकट में फंस गए हैं, क्योंकि अब इसे पुष्टि नहीं मिली तो विभाग के सामने संविदा अवधि बढ़ाने के मामले पर दोबारा निर्णय करना पड़ सकता है। इस मामले में कई तकनीकी समस्याएं सामने आ सकती हैं। अक्षरविश्व ने इस मामले की पड़ताल की और वह पत्र भी हासिल किया, जिसमें संविदा अवधि बढ़ाने का निर्णय भी हो चुका है।

ऐसे बढ़ गई संविदा अवधि

सेवानिवृत्त पीयूष भार्गव और प्रेमचंद यादव की संविदा अवधि बढ़ाने का आदेश 20 फरवरी 2025 को जारी हो चुका है।

आदेश में आयुक्त सह सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल द्वारा 17 फरवरी 2025 के पत्र (3831) द्वारा दी गई स्वीकृति का उल्लेख है।

नगर निगम के सचिव ने 20 फरवरी 2025 को पत्र भोपाल भेजा था, जिसमें महापौर द्वारा एमआईसी की प्रत्याशा में स्वीकृति का उल्लेख है।

20 फरवरी 2025 को ही विभिन्न शर्तों के साथ संविदा अवधि एक साल के लिए बढ़ाने का आदेश भी जारी हुआ था।

आदेश में शर्त क्रमांक 6 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी कदाचरण या आचरण नियमों के अधीन नियुक्ति सेवा सदस्यों द्वारा संविदा नियुक्ति के संबंध में कोई जानकारी छिपाने या प्रतिकूल पाए जाने पर अनुबंध की शर्त के तहत संविदा नियुक्ति समाप्त की जा सकती है।

प्रत्याशा में पहले मंजूरी क्यों… उठते सवाल

इस मामले में अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं

1. एमआईसी में कुछ मामलों में प्रत्याशा में स्वीकृति दी जाती है, लेकिन इसमें कौनसे प्रकरण दायरे में आते हैं, यह सवाल खड़ा हो सकता है।

2. भार्गव मामले में ऐसी क्या अर्जेंसी थी कि एमआईसी के बगैर ही ताबड़तोड़ प्रत्याशा में स्वीकृति दी गई?

3. यह सवाल भी उठ सकता है कि क्या एमआईसी की बैठक नहीं बुलाई जा सकती थी?

प्रत्याशा में दी जाती है स्वीकृति

कई मामलों में एमआईसी की प्रत्याशा में स्वीकृति दी जाती है। यह भी सही है कि भार्गव मामले में अभी एमआईसी की बैठक में इसकी पुष्टि नहीं की है। 21 फरवरी को यह बैठक फिर होगी।-मुकेश टटवाल, महापौर

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