बुधादित्य, सर्वार्थ सिद्धि और शिववास योग के शुभ संयोग में 24 जुलाई को हरियाली अमावस्या

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। 24 जुलाई को आ रही हरियाली अमावस्या इस बार बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि और शिववास योग के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 9.52 बजे तक हर्षण योग और इसके अलावा अमृत सिद्धि योग योग भी रहेगा। पुनर्वसु नक्षत्र शाम 4.02 बजे तक होगा। इस नक्षत्र में अमावस्या होने से सुख-शांति और समृद्धि आती है। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा। इसमें अमावस्या होने से धन, समृद्धि और शांति मिलती है। इस योग में भगवान शिव की पूजा से दोगुना फल मिलता है।

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ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 24 जुलाई की शाम से 25 जुलाई तक मानी जाएगी लेकिन उदया तिथि के अनुसार अमावस्या 24 जुलाई को ही मानी जाएगी। श्रावण अमावस्या जिसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है, यह श्रावण मास में आने वाली अमावस्या तिथि है। इसका धार्मिक और सामाजिक महत्व है।

विशेषकर पितरों की शांति, ऋण मुक्ति और शुभता के लिए। श्रावण अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान करने और धार्मिक अनुष्ठान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस अमावस्या को ऋण मुक्ति के लिए भी शुभ माना जाता है। यह दिन प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, पौधे लगाने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।

12 में से 5 अमावस्या खास

ज्योतिषाचार्य पं. व्यास ने बताया कि एक वर्ष में कुल 12 अमावस्या होती हैं। हर महीने में एक अमावस्या तिथि आती है।

सोमवती अमावस्या- सोमवार को पडऩे वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।

मौनी अमावस्या- मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है, इस दिन मौन रहने से मन शांत होता है।

शनिश्चरी अमावस्या- शनिवार को पडऩे वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है।

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या- यह अमावस्या पितृ पक्ष के अंत में आती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।

कार्तिक अमावस्या: कार्तिक मास में आने वाली अमावस्या को दीप अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन दिवाली मनाई जाती है। दीपों की रोशनी से अंधेरा छंट जाता है।

अमावस्या पर क्या करें

पवित्र नदियों में स्नान कर दान करें।

पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करें।

पौधे लगाएं, खासकर फलदार और छायादार वृक्ष।

भगवान शिव, विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ तुलसी की पूजा करें।

यदि संभव हो तो व्रत रखें।

यह काम ना करें

तामसिक भोजन और शराब आदि का सेवन ना करें।

इस दिन बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है।

क्रोध और वाद-विवाद से बचें।

तुलसी के पत्ते ना तोड़ें।

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