दिन की उमस-गर्मी व रात की सर्दी ने बढ़ाई बीमारी, वायरल का प्रकोप

चरक ओपीडी में रोज पहुंच रहे 1200 मरीज, वायरल व बुखार और नेत्र पीडि़त अधिक
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। बारिश लगभग विदाई ले चुकी है। पिछले एक सप्ताह से मौसम बदला हुआ है। दिन में गर्मी और रात में सर्दी भरे माहौल ने लोगों को बीमार करना शुरू कर दिया है। अस्पताल मेें भी बीमारों की संख्या बढ़ गई है।
चरक अस्पताल के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां इन दिनों रोज करीब १२०० से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। ओपीडी में पहुंचने वाले ये मरीज मौसमी बीमारियां जैसे बुखार, सर्दी-जुकाम, वायरल, मौसमी इंफेक्शन, आंखों में इंनफैक्शन आदि लक्षणों वाले हैं। अस्पताल में आम दिनों ओपीडी संख्या 600 से 700 मरीजों की रहती है। जो इन दिनों बढ़ गई है।
अब नाइट शिफ्ट भी करेंगी महिला डॉक्टर
चरक अस्पताल में अब महिला डॉक्टर नाइट शिफ्ट भी करेंगी। साथ में पुरुष डॉक्टर भी रहेंगे। सिविल सर्जन डॉ. पलसानिया ने बताया कि रात में महिला डॉक्टर की ड्यूटी से स्टॉफ की कमी तो दूर होगी ही साथ ही महिलाओं के इलाज में भी सुविधा होगी। इसके अलावा सभी को हर परिस्थिति में इलाज का अनुभव भी मिलेगा। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम भी किए गए हैं।
संजीवनी अस्पतालों में भी चल रहा इलाज
सिविल सर्जन डॉ. संगीता पलसानिया ने बताया अस्पताल मेें इलाज और दवाइयों की भरपूर सुविधा है। १७ सितंबर से २ अक्टूबर तक महिलाओं के लिए शुरू होने वाले अभियान के लिए दवाएं भरपूर आई हैं जो सभी के इलाज के उपयोग हो रही हैं। इसके अलावा शहर में अलग-अलग जगहों पर १४ संजीवनी अस्पताल भी खुल गए हैं जहां अधिकतर मौसमी बीमारियों के ही मरीज पहुंच रहे हैं। संजीवनी में दवाइयां व जांच की सुविधा भी है।
तापमान ने लगाई छलांग 32 डिग्री पार पहुंचा पारा
बारिश का दौर थमते ही गर्मी और उमस ने शहरवासियों को हलाकान करना शुरू कर दिया है। आसमान से बादल नदारद हैं जिसके चलते तल्ख धूप झुलसा रही है। दोपहर में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे गर्मी का सीजन चल रहा हो। मौसम में आए बदलाव के कारण तापमान में भी लगातार इजाफा हो रहा है। शुक्रवार को दिन का तापमान 32.7 डिग्री सेल्सियस को पार गया, वहीं रात का तापमान भी बढक़र शनिवार को 23.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया कि जून से सितंबर तक बारिश का सीजन माना जाता है। फिलहाल बंगाल की खाड़ी में जो भी सिस्टम बन रहे हैं, वह पूर्वी मप्र से होकर गुजर रहे हैं, पश्चिमी मप्र तक नहीं पहुंच पा रहे जिसके चलते बारिश का दौर थमा हुआ है। जब भी स्ट्रांग सिस्टम बनेगा और पश्चिमी मप्र की ओर आएगा तब फिर से बारिश का दौर शुरू होगा वरना रिटर्न मानसून का इंतजार करना होगा।
इधर, इस बार मानसून ने देरी से दस्तक दी और शुरुआत महीनों में रिमझिम बारिश हुई। अगस्त के आखिरी और सितंबर के शुुरुआती दिनों में हुई जोरदार बारिश ने जलस्रोतों को भर दिया लेकिन अभी भी औसत बारिश (36 इंच) के आंकड़ा पूरा नहीं हो सका है। इस सीजन में अभी तक 750 मिमी यानी 31 इंच से ज्यादा बारिश हुई। यदि आगामी दिनों में सिस्टम के आने पर बारिश होती है तो कोटा पूरा हो सकता है।