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तीन मंजिला भवन में चल रहा था अवैध अस्पताल

जांच में डॉक्टर की डिग्री फर्जी निकली, टीम ने अस्पताल किया सील

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अक्षरविश्व न्यूजउज्जैन। ग्राम ढाबला में अवैध तरीके से तीन मंजिला अस्पताल संचालित होने की सूचना सीएमएचओ को मिली जिस पर उन्होंने चार डॉक्टरों की टीम बनाकर जांच के लिये ढाबला रवाना किया। टीम द्वारा जब अस्पताल संचालक से उसकी डिग्री, अस्पताल संचालन की अनुमति की जानकारी ली तो अनेक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। टीम द्वारा उक्त अस्पताल को फिलहाल सील कर दिया गया है।

 

मेडिकल ऑफिसर डॉ. विक्रम रघुवंशी ने बताया कि ढाबला में महाकाल कायरो केयर सेंटर के नाम से जितेन्द्र परमार द्वारा तीन मंजिला अस्पताल संचालित किया जा रहा था। सीएमएचओ के निर्देश पर चार सदस्यीय टीम द्वारा उक्त अस्पताल पर पहुंचकर जांच शुरू की गई। जांच के दौरान टीम ने देखा कि अस्पताल में करीब 12 से अधिक मरीज भर्ती थे जिनका उपचार जारी था।

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वहीं करीब 70 से 80 मरीज उपचार के लिये लाइन में लगे थे। टीम ने यहां मौजूद कथित डॉक्टर जितेन्द्र परमार से उपचार करने संबंधी डिग्री और रजिस्ट्रेशन मांगा तो उसने अपनी डिग्री टीम को दिखाई जिसकी जांच करने पर पता चला कि उक्त डिग्री प्राप्त कर भारत में उपचार करने की कोई पात्रता नहीं है।

परमार रजिस्ट्रेशन भी नहीं दिखा पाया। डॉ. रघुवंशी ने बताया कि अस्पताल संचालन के संबंध में पूछताछ करने पर उक्त झोलाछाप डॉक्टर के पास अनुमति या लायसेंस भी नहीं था। खास बात यह कि अस्पताल में जांच और एक्सरसाइज की लाखों रुपये कीमत की मशीनें भी मौजूद थीं जिनका संचालन कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था।

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15 लोगों का स्टाफ, लैब से लेकर एक्सरे तक की सुविधा

अवैध तरीके से संचालित हो रहे महाकाल कायरो केयर सेंटर नामक अस्पताल का निरीक्षण करने पर डॉक्टरों की टीम ने देखा यहां लैब संचालित हो रही थी साथ ही एक्सरे मशीन से मरीजों के एक्सरे भी किये जा रहे थे। डॉ. रघुवंशी ने बताया कि तीन मंजिला उक्त अस्पताल में करीब 15 लोगों का स्टाफ मौजूद था। स्टाफ द्वारा लैब में की जा रही जांच और एक्सरे के संबंध में भी जानकारी ली गई लेकिन कोई भी कर्मचारी जवाब नहीं दे पाया।

रेयर केस के उपयोग की दवाओं से उपचार

डॉ. रघुवंशी ने बताया कि जितेन्द्र परमार स्वयं को डॉक्टर बताकर मरीजों का उपचार कर रहा था। अस्पताल में जांच, एक्सरे, एक्सरसाइज आदि की मशीनों का संचालन दूसरे कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था। मरीजों को जितेन्द्र द्वारा अस्पताल में भर्ती कर इंजेक्शान, बॉटल लगाकर कुछ घंटों तक उपचार किया जाता जिसके बाद मरीज को आराम मिलने पर छुट्टी कर दी जाती थी। खास बात यह कि कथित डॉक्टर परमार द्वारा ऐसी जीवन रक्षक दवाएं जिनको मरीज को अंतिम समय में उपयोग में ली जाती है उन दवाओं का सामान्य बीमारियों में उपयोग कर उपचार किया जा रहा था, जबकि उक्त दवाओं का मरीज के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। फिलहाल अस्पताल को सील कर जांच रिपोर्ट सीएमएचओ डॉ. अशोक पटेल को सौंपी गई है।

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