नदी में गाद के साथ दिख रहे हैं मूर्तियों के स्ट्रक्चर, वृक्षों की शाखाएं, बैरिकेड्स और भी बहुत कुछ
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन हाल ही के दिनों में यह दूसरा मौका आया है जब शिप्रा नदी का पानी कान्ह का गंदा पानी मिलने की वजह से बहाया जा रहा है। एक तरह से इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी से लेकर बडऩगर के छोटे पूल तक नदी को खाली किया जा रहा है। ऐसा दूसरी बार हो रहा है। नदी खाली होने पर उसकी गाद, मूर्तियों के स्ट्रक्चर, बांस, वृक्षों की शाखाएं, बैरिकेड्स और कई सामग्री नजर आने लगी है। यह सामान ना केवल नदी के बहाव में बाधक है बल्कि पानी को गंदा भी करता है। ऐसा दृश्य पूर्व में भी नजर आया था लेकिन अफसरों ने इन्हें निकाला नहीं और नर्मदा का पानी फिर से शिप्रा में भर दिया गया। अभी भी हाल यही है कि नदी की सफाई के नाम पर गंदा पानी बहा दिया गया है। लेकिन गाद और अस्थायी तौर पर नदी में जमा सामग्री को निकालने की कोई कार्ययोजना बनाना तो दूर विचार तक नहीं किया जा रहा है।
घाटों पर हो गई फिसलन, एक घायल
इधर पीएचई द्वारा जहां नदी के पानी को बहाने का काम किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर घाट की सीढिय़ों से पानी का लेवल कम होने के बाद काई जमी सीढिय़ों पर पैर रखते ही लोग फिसलकर घायल हो रहे हैं। सुबह उत्तरप्रदेश से परिवार के साथ शिप्रा नदी में स्नान के लिये पहुंचा व्यक्ति फिसलकर घायल हो गया। सिर में गंभीर चोंट लगने पर उसे होमगार्ड सैनिकों ने घाट से उठाकर उपचार के लिये अस्पताल पहुंचाया।
स्टॉपडेम के गेट खोलें
शिप्रा नदी में कान्ह का दूषित पानी मिलने के कारण पीएचई द्वारा दूषित पानी को छोटे पुल के पास स्टापडेम के गेट खोलकर पानी आगे बहाया जा रहा है। इस कारण नदी में सुबह तक पानी का लेवल करीब 4 फीट कम हो गया और घाट की सीढिय़ां पानी से बाहर आ गई थीं। इन सीढिय़ों पर काई जमी होने के कारण नदी में स्नान के लिये आने वाले लोग फिसलकर घायल हो रहे हैं। खास बात यह कि नदी से पानी का लेवल कम होते ही उसमें पूर्व से मौजूद मूर्तियों के ढांचे, लकड़ी, बांस बल्ली और अन्य गंदगी भी बाहर आ गई है।
पर्वों पर लोग करते हैं नदी में मूर्ति विर्सजन
गणेश उत्सव और नवरात्रि के दौरान लोगों द्वारा देवी देवताओं की मूर्तियों की स्थापना कर पूजन अर्चन किया जाता है और पर्व समाप्ती के बाद इन्हीं विशाल मूर्तियों का शिप्रा नदी में विसर्जन कर दिया जाता है। इन्हीं मूर्तियों के बांस से बने स्ट्रक्चर अब भी नदी में पड़े हैं वहीं बारिश के दौरान बहकर आने वाले पेड़, पाइप आदि सामग्री भी अब नदी में पानी का लेवल कम होते ही दिखने लगी है जिन्हें नगर निगम की सफाई टीम को हटाना जरूरी है।
नृसिंहघाट पर कम हुआ 5 फीट पानी
पीएचई अफसरों का कहना है कि शिप्रा नदी में स्टोर कान्ह का दूषित पानी स्नान के लायक नहीं है। इस पानी को बहाकर नदी खाली करने का काम चल रहा है। नृसिंहघाट से छोटे पुल तक पानी का लेवल करीब 4 फीट कम हो चुका है।
इनका कहना
नदी के खाली होते ही किनारे और तल में जमा लकड़ी, लोहा बैरिकेड्स सहित सभी सामान को निकालने के लिए निगम का स्वास्थ्य अमला और पीएचई मिलकर कार्य करेंगे।
एन.के. भास्कर, कार्यपालन यंत्री पीएचई