‘आदिराज पृथु’ में कामायनी और उर्वशी का उत्कर्ष है -डाॅ अनुरोध

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के समारोह में डॉ. सुधाकर मिश्र कृत महाकाव्य ग्रंथ “आदिराज पृथु” का लोकार्पण

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मुंबई, 19 फरवरी। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई और स्वर संगम फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में भायंदर में आयोजित समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुधाकर मिश्र कृत महाकाव्य ग्रंथ “आदिराज पृथु” का लोकार्पण एवं चर्चा सत्र सम्पन्न हुआ।

इस समारोह में अध्यक्ष के रूप में वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामेश्वर मिश्र ‘अनुरोध’ ने कहा कि इस ग्रंथ में आदिराज पृथु की आदर्श सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्रियाशीलता को उद्घाटित करते हुए उनके लोक हितैषी व्यवहार को रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह कृति कामायनी और उर्वशी की काव्यात्मकता का संश्लिष्ट रूप है। प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने आदिराज पृथु के कृषक हितैषी व्यवहार को प्रासंगिक सिद्ध किया और कहा कि उसमें नारी सम्मान का स्वर मुखरित हुआ है।

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मुख्य अतिथि कमलाशंकर मिश्र ने कहा कि महाभारत और‌ पुराणों में उल्लिखित चरित्रों को आधार बनाकर रचनाकार ने भारतीय सांस्कृतिक ज्ञान परम्परा को उद्घाटित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। विशेष अतिथि उमराव सिंह ओस्तवाल ने सुधाकर मिश्र की रचनात्मकता को विशेष महत्वपूर्ण बताया।

चर्चा सत्र में डॉ. सतीश पांडेय, डॉ. उमेश शुक्ला और डॉ. संतोष कौल ने अभिपत्र प्रस्तुत किया।अभिमत प्रस्तुत करते हुए डॉ. सुधाकर मिश्र ने कहा समाज में जो प्रेय और आवश्यक होता है, उसे प्रस्तुत करना रचनाकार का धर्म होता है। मैंने इसी का निर्वाह किया है। शैलेश सिंह ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। आनंद सिंह के कुशल संचालन में आयोजित इस समारोह में हरियश राय, नगरसेवक श्रीप्रकाश मुन्ना सिंह, मदन सिंह, चंद्रभूषण दुबे और बाबुलनाथ दुबे सहित बड़ी संख्या में हिंदी प्रेमी उपस्थित थे।

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