Advertisement

शिव की नगरी काशी से क्यों नहीं लाया जाता गंगाजल? जानें

काशी भगवान शिव की नगरी है. शिव जी यहां विश्वनाथ भगवान के रूप में विराजमान हैं. मान्यताओं के अनुसार, काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है. काशी नगरी गंगा किनारे बसी है. इस नगरी को वारणसी भी कहा जाता है. ये एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. काशी प्राचीन होने के साथ-साथ आध्यात्मिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. काशी मोक्ष की नगरी भी है.

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

काशी में भगवान शिव मोक्ष प्रदान करते हैं. आमतौर पर हरिद्वार और प्रयागराज से लोग गंगाजल लेकर घर आते हैं. हरिद्वार और प्रयागराज से गंगाजल लेकर आना बहुत ही शुभ माना जाता है, लेकिन वाराणसी से गंगाजल लेकर आने के लिए मना किया जाता है. ऐसा करने के पीछे एक विशेष वजह है. ऐसे में आइए जानते हैं कि काशी से गंगाजल क्यों नहीं लाया जाता?

इसलिए काशी से नहीं लाया जाता गंगाजल
काशी में मणिकर्णिका घाट है. कहा जाता है कि यहां पर हमेशा चिताएं जलती रहती हैं और मृतकों की अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इससे मृतकों को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. साथ ही मोक्ष मिल जाता है. काशी ने गंगाजल लाने से इसलिए मना किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि काशी से गंगाजल लाने पर अनजाने में मृत आत्माओं के अवशेष या राख जल के साथ आ सकती है, जिससे उनको मुक्ति मिलने में बाधा हो सकती है.

Advertisement

ये भी एक मान्यता
साथ ही मान्यता ये भी है कि इस जगह में गंगाजल को कई जानवर छूते हैं, जो मोक्ष के लिए भटकते रहते हैं. यहां पर तांत्रिक अनुष्ठान और मोक्ष कर्म भी होते हैं. ऐसे में इस स्थान से गंगाजल को घर लाने से माना किया जाता है, क्योंकि इससे नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं. कहा जाता है कि काशी से गंगाजल या मिट्टी को लाने से पाप लगता है.

Advertisement

Related Articles