मुंबई से प्रकाशित नवीन हिंदी साहित्यिक पत्रिका “सृजनिका” के प्रवेशांक का लोकार्पण

By AV NEWS

मुंबई से प्रकाशित नवीन हिंदी साहित्यिक पत्रिका “सृजनिका” के प्रवेशांक का लोकार्पण

मुंबई , 29 फरवरी। हिंदी भाषा के अच्छे और स्तरीय साहित्य को एक प्रतिष्ठित मंच प्रदान करने के उद्देश्य से मुंबई से प्रकाशित होने वाली नवीनतम त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका “सृजनिका” के प्रवेशांक का लोकार्पण बुधवार, 28 फरवरी, 2024 को मुंबई विश्वविद्यालय के कलीना परिसर स्थित जे.पी. नाईक सभागार में आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह में हुआ। बड़ी संख्या में उपस्थित साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों और विद्यार्थियों के समक्ष मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद लोकप्रिय एवं वरिष्ठ लेखक डॉ. दामोदर खड़से तथा समारोह की अध्यक्षता कर रहे कोंकण रेलवे के निदेशक संतोष कुमार झा द्वारा इस सुरुचिपूर्ण पत्रिका के पहले अंक का लोकार्पण किया गया।

इस अवसर पर मुंबई महानगर और अन्य शहरों से पधारे विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार साझा किये। मुख्य अतिथि डॉ. दामोदर खड़से ने अपने वक्तव्य में इस बात को गलत ठहराया कि सोशल मीडिया के युग में पाठक वर्ग समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी हर उचित सामग्री को गम्भीरता से आत्मसात करती है। उन्होंने “सृजनिका” के माध्यम से समय-समय पर सृजनात्मक कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के आयोजन का सुझाव दिया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए सृजनिका के प्रधान सम्पादक एवं वरिष्ठ साहित्यकार संतोष कुमार झा ने सामाजिक दायित्व के उद्देश्य से प्रकाशित “सृजनिका” के समूचे सम्पादक मंडल और इसके प्रथम अंक में शामिल सभी साहित्यकारों की रचनाओं की सराहना की तथा इसके निरंतर प्रकाशन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।

उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि अगर लिखें, तो विचारपूर्वक लिखें और लेखन की अंतर्निहित ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करें। शिमला से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार एस. आर. हरनोट ने “सृजनिका” पत्रिका के प्रकाशन की सराहना की और विश्वास जताया कि इस पत्रिका में प्रकाशित होने वाली रचनाएँ दीपक की तरह समाज का मार्गदर्शन करेंगी। उन्होंने कहा कि “मैं अनेक विमोचन कार्यक्रमों में गया हूँ, लेकिन ऐसा मूर्धन्य कार्यक्रम मैंने पहली बार देखा है।” वरिष्ठ साहित्यकार और मुंबई विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. हूबनाथ पाण्डेय ने लेखन को जन सामान्य के उद्धार और उत्थान के लिए एक अनिवार्य कार्य बताया। सुप्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. दयानंद तिवारी ने “सृजनिका” पत्रिका के दीर्घजीवी होने की कामना व्यक्त करते हुए इसकी उत्कृष्टता के लिए कई मूल्यवान सुझाव दिये।शायर और ग़ज़ल गायक जब्बार हुसैन, कवि एवं मुख्य उप सम्पादक राजेश कुमार सिन्हा तथा गोवा से पधारे सतीश धुरी ने “सृजनिका” पर लिखी अपनी कविताएँ सुनाईं। जब्बार हुसैन की पंक्तियों “कविताओं में अपशब्दों का खंडन क्यों नहीं करते , तुम ऐसी शायरी का विसर्जन क्यों नहीं करते..!” को श्रोताओं ने दिल खोलकर सराहा।

अंग्रेज़ी, उर्दू और अंग्रेज़ी में समान रूप से लोकप्रिय लेखक सेवक नैयर के अलावा लोकप्रिय “रेल दर्पण” पत्रिका के निवर्तमान वरिष्ठ सम्पादक, सुपरिचित कवि एवं महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य गजानन महतपुरकर, सोनल सिन्हा और प्रिंस ग्रोवर ने भी अपने विचार व्यक्त किये और पत्रिका के सम्पादक मंडल का अभिनंदन किया। युवा कवि मुकेश गौतम ने कहा कि नई पीढ़ी उत्कृष्ट साहित्य को पढ़ना पसंद करती है। पत्रिका के सम्पादक डॉ. अमरीश सिन्हा ने “सृजनिका” के प्रकाशन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कतिपय कारणों से लोकप्रिय पत्रिका “धर्मयुग” का प्रकाशन बंद हो गया, लेकिन “सृजनिका” आने वाले भविष्य में कालजयी पत्रिका बनेगी।

उन्होंने सृजनिका के सम्पादक मंडल का परिचय भी कराया। जाने-माने मंच प्रस्तोता और सृजनिका के सह सम्पादक आनंद प्रकाश सिंह ने अपने अनूठे और उम्दा अंदाज़ में पूरे समारोह का प्रभावशाली संचालन किया और पत्रिका की समूची टीम को हार्दिक बधाई दी। समारोह का शुभारम्भ मुंबई दूरदर्शन से जुड़ी डॉ. शैलेश श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना एवं डॉ. रोशनी किरण द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार रमण मिश्र, सदानंद चितले, ओमप्रकाश सिंह, डॉ रामविचार यादव, डॉ सुधीर कुमार चौबे, दीपनारायण शुक्ल, अलका अग्रवाल सिग्तिया, आरती सोनी, मोनिका सिन्हा, प्रो एनी राजन, डॉ राकेश शर्मा, शैलेश सिंह, तूलिका सिन्हा, शरद जाधव, प्रसाद सामंत, जे. एम. सिंह, राजीव मिश्र, रीमा सिंह, नितिन नायक, श्रीमती श्रेया और शहर के कई सक्रिय लेखकों सहित मुंबई विश्वविद्यालय के विभिन्न विद्यार्थी उपस्थित थे। कोंकण रेलवे में कार्यरत सुश्री प्रिया पोकले ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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