फर्जी डिस्काउंट से 152 स्टूडेंट को ले जा रहे थे देवास से लोनावाला

शैक्षणिक टूर के नाम पर हो रही धांधली को विशेष टीम ने पकड़ा
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। रेलवे ने शुक्रवार शाम को फर्जी डिस्काउंट सर्टिफिकेट के जरिए शैक्षणिक टूर कराने का बड़ा मामला पकड़ा है। रतलाम रेल मंडल की कमर्शियल टीम ने देवास से लोनावला की यात्रा कर रहे 152 स्टूडेंट पर एक लाख से अधिक का जुर्माना लगाया। रतलाम मंडल के इतिहास में पहली बड़ी कार्रवाई है।
यह फर्जीवाड़ा इंदौर-दौंड एक्सप्रेस में पकड़ में आया है। वरिष्ठ अधिकारियों को मिली सूचना के आधार पर रेलवे ने सीनियर डीसीएम हिना केवलरामानी के निर्देशन में डीसीएम राजेश मथुरिया, एसीएम राजेश तन्ना, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक मिक्की सक्सेना, वाणिज्य अधीक्षक अख्तर व अमित मसीह समेत की टीम बनाई। टीम ने रतलाम स्टेशन पर इंदौर-दौंड एक्सप्रेस में कार्रवाई की तो मामला सामने आया। इस ट्रेन में देवास से लोनावला तक 152 से अधिक स्टूडेंट बिना वैध रियायती प्रमाणपत्र (वैलिड डिस्काउंट सर्टिफिकेट) के यात्रा करते हुए पकड़े गए।
जांच के दौरान टूर ऑर्गनाइजर से कन्सेशन लेटर (रियायत पत्र) एवं वैलिड ट्रैवल सर्टिफिकेट (वैध यात्रा प्रमाण) मांगा गया। लेकिन वह प्रस्तुत नहीं कर पाए। ऑर्गेनाइजर ने बताया कि उन्होंने टिकट एजेंट के माध्यम से तैयार करवाए थे। कुल 152 छात्रों से रेल भाड़ा वसूल कर टूर ऑर्गेनाइजर से 1 लाख 17 हजार 40 रुपए का जुर्माना वसूल किया गया।
मामला जीआरपी को सौंपा: पीआरओ खेमराज मीणा ने बताया कि टूर ऑर्गेनाइजर द्वारा बताए गए एजेंट के विरूद्ध कार्रवाई को लेकर प्रकरण आरपीएफ/जीआरपी को भेजा गया है।
टूर डिस्काउंट टिकट इंदौर के दलाल बना रहे, होटल से कंट्रोल हो रहा कारोबार
रेलवे द्वारा विद्यार्थियों को शैक्षणिक टूर के लिए डिस्काउंटर टिकट जारी किए जाते हैं। जिसमें तकरीबन आधी कीमत में टिकट जारी होते हैं। नियमों के मुताबिक टूर आर्गेनाइजर संस्था द्वारा टूर का उद्देश्य, यात्रा के स्टेशन और तारीख, विद्यार्थियों की सूची आदि अन्य जरूरी दस्तावेजों के साथ डीआरएम कार्यालय में आवेदन करना होता है। लेकिन लंबे समय से इंदौर के दलाल ये व्यवस्था संभाले हैं। टूर आर्गेनाइजर इंदौर की एक होटल से यह ऑपरेट कर रहे हैं। डिस्काउंट टिकट जारी होने में मुख्य आरक्षक पर्यवेक्षक, मुख्य क्लर्क, आरपीएफ की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। अगर पिछले एक साल के टूर डिस्काउंट सॢटफिकेट की विजिलेंस जांच हो जाए तो बड़ा रैकेट सामने आ सकता है।