महाकाल मंदिर की आय फिर बनाएगी कीर्तिमान!

मंदिर का तैयार हो रहा बजट, 200 करोड़ रुपए की आय संभव

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नए अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति का भी इंतजार

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की सालाना आय एक बार फिर नया कीर्तिमान बनाएगी? मंदिर का नया बजट सामने आने के बाद इसका खुलासा होगा। अनुमान है कि इस बार मंदिर की आय का आंकड़ा 200 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। पिछले साल 168 करोड़ रुपए की आय हुई थी। मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में जल्द ही बजट पेश करने की तैयारी चल रही है। इसमें पिछले वित्तीय वर्ष की आय के आंकड़े प्रस्तुत किए जाएंगे। मंदिर प्रबंध समिति में अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति भी अभी शासन स्तर से होना बाकी है। समिति में इस बार नए सदस्यों को शामिल किया जा सकता है।

महाकाल मंदिर का बजट हर साल अप्रैल में पेश किया जाता है लेकिन इस बार मंदिर प्रबंध समिति की बैठक लंबे समय से न हो पाने के कारण बजट अब तक पेश नहीं किया जा सका है। सूत्रों के अनुसार इसकी एक वजह यह भी है कि अब तक नई प्रबंध समिति का गठन नहीं हो सका है। अशासकीय सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और वे कार्यवाहक सदस्य के रूप में ही काम कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2025 समाप्त हो चुका है और नए वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया जाना बाकी है। अभी पुराने बजट के अनुसार ही मंदिर में काम किए जा रहे हैं। मंदिर प्रबंध समिति को पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) में 168 करोड़ रुपए की आय हुई थी। इसके अनुसार अनुमान लगाया जा रहा है कि पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 200 करोड़ रुपए की आय हुई। मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।श्रद्धालु मंदिर में नकद राशि चढ़ाने के साथ ही सोने और चांदी के आभूषण भी चढ़ाते हैं। पिछले साल लगभग एक किलो 553 ग्राम 190 मिलीग्राम सोना और 399 किलो 130 ग्राम 140 मिलीग्राम चांदी की सामग्री भेंट की गई थी।

सोने चांदी के आभूषणों का आज तक नहीं हो सका भौतिक सत्यापन
महाकाल मंदिर के खजाने में सोने चांदी के आभूषणों का भौतिक सत्यापन करने के लिए एक समिति महापौर मुकेश टटवाल की अध्यक्षता में बनाई गई थी, लेकिन समिति की बैठक ही आयोजित नहीं की जा सकी। तत्कालीन कलेक्टर और मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष कुमार पुरुषोत्तम के निर्देश पर समिति बनाई गई थी। दरअसल, मंदिर में पुराने समय में दान में आए सोने चांदी की सामग्रियों का रिकॉर्ड नहीं है। इस कारण समिति में इनका भौतिक सत्यापन करने का निर्णय लिया गया था।

मंदिर की जमीन का प्रस्ताव भी अधर में
म हाकाल मंदिर की जमीनों को बेचकर एक जगह करने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है, लेकिन बड़े पदों पर बैठे अधिकारी इस प्रस्ताव को लेकर बैठे हुए हैं। नतीजा यह कि मंदिर की जमीनों को एक जगह करने का प्रस्ताव भी अधर में पड़ा है। मंदिर के लिए कई भक्तों द्वारा कृषि जमीन दान की गई है लेकिन दूर गांवों में होने के कारण इन पर केवल खेती से ही आय हो पा रही।

समिति सदस्य बनने के लिए जोड़तोड़
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अशासकीय सदस्य बनने के लिए कई लोगों की निगाहें लगी हुई हैं। समिति में अशासकीय सदस्यों को भी शामिल किया जाता है। सूत्रों के अनुसार समिति के लिए राजनीति में सक्रिय और आरएसएस से जुड़े लोग भी सक्रिय हैं। इसी कारण पुराने सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी नए सदस्यों की घोषणा नहीं हो सकी है।

मंदिर की आय के मुख्य स्रोत

दानपेटियों से आय।

सशुल्क दर्शन व्यवस्था।

भस्मारती दर्शन अनुमति।

श्रृंगार एवं विभिन्न पूजन।

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