शिव वास और सिद्धि योग में 29 को मनेगी मौनी अमावस्या

मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध एक साथ त्रिग्रही और त्रिवेणी योग का निर्माण भी करेंगे
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। इस साल माघ माह की अमावस्या यानी मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या पर शिव वास योग और सिद्धि योग के साथ कई सालों के बाद त्रिवेणी योग बनने जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि इस बार मौनी अमावस्या पर दो विशेष योग बन रहे हैं। पहला शिव वास योग, इसे भगवान शिव के साथ जुड़ा खास योग माना जाता है जो भक्तों के लिए विशेष शुभ फल लेकर आता है। इसके अलावा सिद्धि योग भी बन रहा है जो बेहद शुभ माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा अमावस्या के दिन मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध एक साथ त्रिग्रही व त्रिवेणी योग का निर्माण भी करने जा रहे हैं।
मौन रहकर तप करने वाली अमावस्या
मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है मौन रहकर तप करने वाली अमावस्या। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। भगवान श्रीहरि विष्णु, मां लक्ष्मी, तुलसी और मां गंगा की पूजा करनी चाहिए। मौन व्रत भी रख सकते हैं। मान्यता है व्रत रखने से आत्मसंयम, मानसिक शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रवण व उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों का संयोग
मौनी अमावस्या पर श्रवण और उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों का संयोग भी बन रहा है जो पूजा के प्रभाव को और बढ़ा देता है। इस दिन की गई पूजा से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पितरों के श्राद्ध का विधान
पं. व्यास के अनुसार बारह पुराण के अध्याय 13 में बताया गया है कि जो मनुष्य श्राद्ध में ब्राह्मण या गरीब को भोजन करवाने में असमर्थ है, वह अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए एक मु_ी काले तिल दान करे तो उनके पितरों को तृप्ति प्राप्त होगी। अमावस्या को पितरों का श्राद्ध करने का विधान है।