नहाते वक्त गहरे पानी में गया नीमच का युवक एसडीईआरएफ की महिला सैनिक ने बचाया

जिला होमगार्ड कमांडेंट ने की पुरस्कार देने की घोषणा

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जाको राखे सांइया, मार सके ना कोय… यह लाइनें मंगलवार को उस समय फिर से सच साबित हुईं जब शिप्रा में डूब रहे नीमच के श्रद्धालु को देवदूत बनकर पहुंची एसडीईआरएफ की महिला सैनिक ने मौत के मुंह से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। दरअसल, नीमच का रहने वाला रोहित पिता कालू लाल (20) भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन आया था। मंगलवार सुबह 7 बजे रोहित रविदास घाट पर नहा रहा था।

पिछले दो दिनों से हो रही रिमझिम बारिश के चलते शिप्रा का जलस्तर भी बढ़ा हुआ था। इसी दौरान उसे गहराई का अंदाजा नहीं रहा और वह गहरे पानी में जाकर डूबने लगा। उसे छटपटाता देख आसपास नहा रहे दूसरे श्रद्धालुओं ने शोर मचाया। इस दौरान वहां तैनात एसडीईआरएफ की महिला सैनिक शिवकन्या ने सुरक्षा उपकरणों की मदद से उसे समय रहते सुरक्षित बाहर निकाल दिया वरना उसकी जान भी जा सकती थी। महिला सैनिक की इस बहादुरी के लिए जिला कमांडेंट संतोष जाट ने उन्हें पुरस्कृत करने की बात कही है।

पहले भी ‘देवदूत’ बने जवान

23 जून को आंध्रप्रदेश से लक्ष्मी कुमारी और उनकी बेटी को रविदास घाट पर डूबने के दौरान बचाया गया था।

29 जून को इंदौर के अक्षत दीक्षित को जवानों ने डूबने से बचाया था।

30 जून को पचोर (गुना) के रहने वाले रोहित और अभिषेक को बचाया था।

20 जुलाई को इंदौर के रहने वाले अजय मिश्रा की 10 साल की बेटी ज्योति मिश्रा को बचाया।

21 जुलाई को इंदौर की गुरु गोविंद कॉलोनी के रहने वाले जितेंद्र पिता रघुनंदन सिंह ठाकुर को सिद्ध आश्रम और इंदौर के ही सिद्धार्थनगर का रहने वाले 10 वर्षीय अमन को नृसिंह घाट पर जवानों ने बचाया था।

अलग-अलग घाटों पर 130 से ज्यादा जवान तैनात

जिला होमगार्ड कमांडेंट संतोष जाट ने बताया श्रावण माह और नागपंचमी को देखते हुए देशभर से श्रद्धालु आए हुए हैं जिसके चलते रामघाट सहित अन्य घाटों पर भीड़ अधिक है। इसे देखते हुए अलग-अलग घाटों पर होमगार्ड और एसडीईआरएफ के अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं जिनकी संख्या 130 से अधिक है। यह जवान अलग-अलग शिफ्ट में सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाले हुए हैं।

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