संसद से पास हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। इसी के साथ ओबीसी संशोधन विधेयक ने अब कानून की शक्ल ले ली है तो राज्य सरकारों को भी बिल के कानून बनने के बाद खुद से ओबीसी लिस्ट का अधिकार मिल गया है। इसी महीने मानसून सत्र के दौरान बिल को संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराया गया था। दोनों सदनों ने सत्तापक्ष के अलावा विपक्षी दलों ने भी बिल का समर्थन किया था।
क्या है ओबीसी आरक्षण कानून ?
ओबीसी आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बने इस कानून में अब राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़ा वर्ग की लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिला है। यानी हर राज्य अब पिछड़े वर्गों की सूची बना सकता है और उसे बनाए रख सकता है। पहले यह अधिकार राज्यों के पास नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के पास था।
दरअसल, मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर अहम टिप्पणी की थी। आरक्षण पर पुर्नविचार से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई करने की मांग खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 102वें संविधान संशोधन के बाद ओबीसी की सूची बनाने का अधिकार राज्यों के पास नहीं, बल्कि केंद्र के पास है। इसके बाद केंद्र सरकार ने ओबीसी सूची तय करने का अधिकार राज्यों को देने के लिए 127वां संविधान संशोधन विधेयक लाने की पहल की।