हिंदू धर्म में चैत्र माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह हिन्दी साल की पहली पूर्णिमा होती है। इस बार यह तिथि और भी खास है, क्योंकि शनिवार 12 अप्रैल 2025 को चैत्र पूर्णिमा के साथ-साथ हनुमान जयंती भी मनाई जाएगी। इस पावन दिन पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, चंद्रदेव और तुलसी माता की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
लेकिन एक छोटी-सी भूल इस शुभ अवसर के प्रभाव को कम कर सकती है और आपकी मेहनत पर पानी फेर सकती है। खासकर तुलसी पूजन में सावधानी न बरती जाए, तो धन की देवी लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं, जिससे आर्थिक संकट आ सकता है। आइए जानते हैं कि तुलसी पूजन में कौन-सी बातों का ध्यान रखना सबसे जरूरी है और वह कौन-सी गलतियां हैं, जो बरकत में रुकावट डालती है?
चैत्र पूर्णिमा पर न तोड़ें तुलसी के पत्ते
हिन्दू धर्म के ग्रंथों और शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि पूर्णिमा, एकादशी और रविवार जैसे शुभ दिनों पर तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित होता है। खासकर चैत्र पूर्णिमा जैसे दिन तो बिल्कुल नहीं। माना जाता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं, जिससे घर की समृद्धि पर असर पड़ सकता है।
तुलसी के पास सफाई का रखें विशेष ध्यान
जहां तुलसी माता विराजती हैं, वहां गंदगी या कचरा नहीं होना चाहिए। तुलसी स्थान की सफाई न केवल धार्मिक दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखती है। साफ-सुथरे वातावरण में ही देवी लक्ष्मी का वास होता है।
सूर्यास्त के बाद तुलसी को न चढ़ाएं जल
धार्मिक मान्यता है कि तुलसी को जल केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही अर्पण किया जाना चाहिए। सूर्यास्त के बाद तुलसी माता को जल देना अशुभ माना गया है, जिससे पूजा का फल कम हो सकता है।
तुलसी माता को काले वस्त्रों से रखें दूर
काला रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसलिए तुलसी को काले कपड़े से न ढकें, न ही पास में काले रंग की कोई वस्तु रखें। यह भी मां लक्ष्मी की कृपा में रुकावट बन सकता है।
महिलाएं खुले बालों में न करें तुलसी पूजन
चैत्र पूर्णिमा का दिन साल में एक बार आता है, और इसका आध्यात्मिक और भौतिक फल अत्यंत शक्तिशाली होता है। शास्त्रों के अनुसार, महिलाओं को खुले बालों में तुलसी को जल नहीं अर्पित करना चाहिए। यह अशुद्धता की श्रेणी में आता है और पूजा का प्रभाव कम कर सकता है।