पर्वाधिराज दशलक्षण पर्व महावीर तपोभूमि उज्जैन में श्रावक संयम साधना शिविर

पर्वाधिराज दशलक्षण पर्व महावीर तपोभूमि उज्जैन में श्रावक संयम साधना शिविर

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250 से अधिक तपस्वी नाते-रिश्तेदार और भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर, भगवान की साधना में लीन

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। दिगंबर जैन समाज के पर्वाधिराज दशलक्षण पर्व के अवसर पर महावीर तपोभूमि उज्जैन में श्रावक संयम साधना शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर में शामिल होने वाल समाजजन समाज सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया शिविर का उदेश्य एवं आह्वान घर गृहस्थी की झंझटों से मुक्त धर्म ध्यान से युक्त, शुभ वस्त्रों को धारण कर शुद्ध सात्विक भोजन के साथ शुद्ध-विशुद्ध भावों के साथ दसलक्षण पर्व की आराधना कर रहे है।

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महावीर तपोभूमि में रविवार को श्रावक संयम साधना शिविर प्रारंभ हुआ। शिविर में आचार्य विद्यासागरजी की शिष्या प्रभा दीदी, अंजु दीदी, श्रेयस जैन विशेष रूप से उपस्थित होकर संपूर्ण धर्म क्रियाएं संपन्न कराएंगे। श्रावक संयम साधना आवासीय शिविर का संचालन 17 सितम्बर तक होगा।

इस दौरान श्रावक-श्राविकाओं को शिविर के कड़े नियमों का पालन करना होगा। समाज सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया शिविर का उदेश्य श्रावक-श्राविकाओं को साधना एवं धर्म ध्यान से जोडऩा और प्रेरित करना है। शिविर में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को एक ही स्थान पर रहकर संपूर्ण क्रियो में करना है। कोई भी बीच में शिविर छोड़ नहीं जा सकता है। अतिआवश्यक कार्य या बीमारी के लिए छूट रहेगी शिविर में सम्मिलित व्यक्ति कहीं इधर-उधर घूम नहीं सकते हैं।

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इन नियमों का पालन कर रहे

शिविरार्थियों को 2 जोड़ सफेद, धोती, दुपट्टा और महिला को 2 साड़ी सफेद प्रदान की गई। शिविरार्थियों को धोती-दुपट्टा और साड़ी में ही रहना होगा।

शिविरार्थियों को वस्त्र-आसन-पुस्तक-कॉपी-पेन समिति द्वारा प्रदान किये गए है।

दुनिया और मोबाइल, अखबार एवं रिश्तेदारों से दूर रहना होगा

शिविर के प्रत्येक धार्मिक कार्यों में सम्मिलित होना होगा

नियम संयम एक आसान उपवास आदि का पालन करना होगा

सुबह से ही ध्यान अभिषेक शांति धारा नित नियम की पूजा 10 लक्षण धर्म की पूजा दोपहर में धार्मिक क्रियाएं शाम को भगवान की आरती आचार्य श्री की आरती आदि संपूर्ण धार्मिक क्रियो में रहना आवश्यक होगा

आध्यात्मिक चिंतन और त्याग के पर्व पर ‘दसलक्षण’ का पालन

उज्जैन। दिगंबर जैन समाज के महापर्व ‘पर्युषण’ की शुरुआत रविवार से हो गई। पर्व का समापन 17 सितंबर,मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के साथ होगा। दिगंबर जैन अनुयायियों द्वारा आध्यात्मिक चिंतन और त्याग के 10 दिवसीय पर्युषण पर्व पर ‘दसलक्षणÓ का पालन करते हुए पूजन,आराधना तपस्या की जाएगी।

‘पर्युषण’ आत्मशुद्धि के लिए प्रेरित करता है। यह तप, आराधना और आत्मा को शुद्ध तथा पवित्र बनाने के लिए आवश्यक धार्मिक क्रियाओं पर ध्यान केंद्रित की प्रेरणा देता है। श्वेतांबर समाज 17 सितंबर तक पर्युषण महापर्व मनाया जाएगा। क्षमायाचना के खास पर्व क्षमावाणी पर समाजजना ‘उत्तम क्षमाÓ कहते हुए सबसे क्षमा मांगेंगे। महापर्व पर्युषण के अवार पर दिगंबर जैन मंदिरों में रंगबिरंगी विद्युत रोशनी से विशेष सजावट की गई है। अनेक धार्मिक कार्यक्रम प्रारंभ हो चुके है। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, तप,साधना और ध्यान सिलसिला प्रारंभ हो गया है।

यह है दसलक्षण

दिगंबर जैन समाज पर्युषण पर्व दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं,जिसे ‘दसलक्षणÓ कहते हैं। यह दसलक्षण हैं- क्षमा, मार्दव, आर्नव, सत्य, संयम, शौच, तप, त्याग, आकिंचन्य एवं ब्रह्मचर्य।

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