पीयूष भार्गव कांड: एमआईसी में कोई चर्चा नहीं, स्वत: निरस्त होगी संविदा नियुक्ति…!

By AV News 1

प्रत्याशा में स्वीकृति के बाद अगली बैठक में पुष्टि जरूरी, एमआईसी ने प्रस्ताव ही हटा दिया

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। अपने अधीनस्थ महिला उपयंत्री से फिजिकल रिलेशन बनाने के आरोपी कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव की संविदा नियुक्ति स्वत: निरस्त होने के आसार बढ़ गए हैं। एमआईसी से नियुक्ति की पुष्टि का प्रस्ताव हटा देने से यह तकनीकी स्थिति बन सकती है। इससे नगरीय प्रशासन विभाग के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। यह मामला तूल पकड़ सकता है। कांग्रेस इस मामले में निगम प्रशासन को घेरने की तैयारी में है।

भार्गव की संविदा नियुक्ति अवधि नगरीय प्रशासन विभाग ने इस आधार पर बढ़ाई है कि महापौर मुकेश टटवाल ने एमआईसी की प्रत्याशा में स्वीकृति दी थी। निगम के जानकारों के अनुसार अगर किसी मामले में प्रत्याशा में स्वीकृति दी जाती है तो उसकी पुष्टि अगली बैठक में ही करना अनिवार्य हो जाती है। भार्गव मामले में एमआईसी ने इस मामले से दूरी बना ली, जिससे भार्गव की नियुक्ति तकनीकी मामले में उलझ सकती है। एमआईसी की सोमवार को हुई बैठक में भी इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की गई न यह स्पष्ट किया गया कि भार्गव मामले में दी गई स्वीकृति की वह पुष्टि करती है या नहीं। इससे यह भी आशंका उठ रही है कि एमआईसी पर भी किसी तरह का दबाव है। कांग्रेस इस मामले को लेकर निगम प्रशासन पर दबाव बना सकती है कि एमआईसी की पुष्टि बिना नियुक्ति को कैसे जारी रखा जा सकता है।

क्या ’प्रत्याशा’ में होते हैं खेल?
एमआईसी की प्रत्याशा में स्वीकृति का मामला अब सुर्खियों में है। दरअसल, निगम के प्रस्तावों में एमआईसी की पुष्टि जरूरी होती है। अगर कोई मामला इमरजेंसी का हो तो उसमें बैठक से पहले स्वीकृति दी जाती है कि सभी सदस्य अपनी स्वीकृति दे देंगे, लेकिन प्रत्याशा को ढाल बनाकर अब खेल किए जाने लगे हैं। भार्गव मामला इसका बड़ा उदाहरण है क्योंकि इस मामले में कोई इमरजेंसी भी नहीं थी। इसके लिए विधिवत बैठक बुलाई जा सकती थी और पुष्टि की जा सकती थी, लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया, इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

निगम प्रशासन क्यों लाचार?
सवाल यह भी उठ रहा है कि निगम प्रशासन पीयूष भार्गव की संविदा अवधि खत्म करने के मामले में लाचार क्यों दिखाई दे रहा? जबकि भार्गव के विरुद्ध महिला उपयंत्री ने एफआईआर दर्ज करा दी है और यौन उत्पीडऩ से जुड़े ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध करा दी है। सारे प्रमाण सामने होने के बाद संविदा नियुक्ति निरस्त करने के लिए विभाग से अब तक न मार्गदर्शन मांगा न कोई पत्र लिखा। एमआईसी की पुष्टि होने या न होने की स्थिति भी निगम प्रशासन द्वारा स्पष्ट की जाना चाहिए।

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