भ्रष्टाचार के आरोपी कर्मचारियों की बर्खास्तगी की तैयारी

By AV NEWS 1

सख्त एक्शन: मंदिर प्रशासक जल्द कलेक्टर को भेजेंगे प्रस्ताव

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। महाकाल मंदिर में भगवान की सेवा की आड़ में भ्रष्टाचार की कमाई से मलाई खाने वाले कर्मचारियों को मंदिर प्रशासन जल्द ही सेवा से बर्खास्त करेगा। पकड़ में आए।पांच कर्मचारियों को जेल भेज दिया गया है, जबकि एक को पुलिस रिमांड पर लिया गया है। मंदिर प्रशासन जल्द ही कार्रवाई करने की तैयारी में है।

महाकाल मंदिर में बरसों से जमे कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के कारण मंदिर की साख पूरे देश में प्रभावित हो रही है। इसको लेकर मध्यप्रदेश सरकार भी चिंतित है और उसने प्रशासन को सख्त कार्रवाई के लिए हरी झंडी दी है। जल्द ही पकड़ में आए पांच और कर्मचारियों की सेवाएं खत्म कर दी जाएंगी।

एडीएम और मंदिर प्रशासक अनुकूल जैन से कलेक्टर व मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरजकुमार सिंह तक अभी कार्रवाई के लिए प्रस्ताव नहीं पहुंचा है। सूत्रों की मानें तो कलेक्टर सिंह ने कार्रवाई का प्रस्ताव तलब कर लिया है। मामले में मंदिर के सभामंडप प्रभारी राजेंद्रसिंह सिसौदिया, आईटी सेल प्रभारी राजकुमार, क्रिस्टल कंपनी के सुपरवाइजर ओमप्रकाश माली और जितेंद्र पंवार को पुलिस ने जेल भेज दिया है। प्रोटोकॉल प्रभारी अभिषेक भार्गव को पुलिस ने एक दिन के और रिमांड पर लिया है। इससे पुलिस को भ्रष्टाचार से जुड़े गिरोह के कुछ और राज मिलने की उम्मीद है।

14 साल पहले सिर्फ 1400 रुपए थी तनख्वाह

पकड़े गए चार कर्मचारी मंदिर प्रबंध समिति के स्थाई कर्मचारी हैं।

मंदिर प्रबंध समिति द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर कर्मचारियों को स्थाई बताया जा चुका है।

स्थाई कर्मचारियों के वेतन से हर माह 3800 रुपए काटा जाता है।

3200 रुपए पीएफ और 200 रुपए अतिरिक्त शामिल है।

पकड़े गए कर्मचारियों को 3200 रुपए वेतनमान दिया जाता है।

2010 में वेतन सिर्फ 1400 रुपए ही दिया जाता था।

बाद में 8 हजार और कोरोना के समय में 16 हजार रुपए ही था।

अंगूठा छाप भी नियुक्त

तत्कालीन प्रशासक आनंदीलाल जोशी के समय 30 कर्मचारियों को मंदिर में नियुक्त करने की लिस्ट आज भी चर्चा में है। रोचक बात यह कि उस लिस्ट के 29 ही कर्मचारी आए थे। तब जो आवेदन आया था, उसी को नियुक्ति देकर संख्या की पूर्ति की गई थी। कहते हैं कि कई कर्मचारी अंगूठा छाप भी हैं।

कैसे रोकें भ्रष्टाचार?

1. मंदिर में भ्रष्टाचार को रोकना अभी भी बड़ी चुनौती है। क्योंकि मंदिर में एक ग्रुप अभी और है जो समय मिलने पर सक्रिय हो सकता है।

2. कार्यरत कर्मचारियों को मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध लगाया जाए।

3. पण्डे पुजारियों के पूजा, अभिषेक और दर्शन पर नियंत्रण जरूरी।

मास्टरमाइंड आखिर कौन है…?

महाकाल मंदिर में दर्शन के नाम काली कमाई करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड कौन है? इस पर भी प्रशासन की निगाहें लगी हुई हैं। सभामंडप प्रभारी सिसौदिया सबसे पुराने कर्मचारियों में से एक है।

बड़ा सवाल: बड़ी जिम्मेदारी देने से पहले कोई जांच- परख क्यों नहीं?

जो कर्मचारी भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े गए हैं, वे लंबे समय से काम कर रहे थे।

इन कर्मचारियों को किस योग्यता के आधार पर नियुक्ति मिली।

सभा मंडप व आईटी सेल जिम्मेदारी देने से पहले आवेदन, इंटरव्यू प्रक्रिया हुई या नहीं?

 कर्मचारी एक ही पद पर लंबे समय तक काम कैसे करते रहे?

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