एमआरपी से अधिक भाव बेच रहे प्रोटीनयुक्त पनीर व दूध

नापतौल विभाग ने राजीनामा प्रकरण बनाकर जब्त माल लौटा दिया, अब कलेक्टर को शिकायत
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। अमूल कंपनी के प्रोटीन युक्त पनीर व दूध दुकानदार द्वारा एमआरपी से अधिक भाव में बेचने का मामला सामने आया है। दुकानदार ने एमआरपी काटकर मार्कर पेन से ओवर लिख रेट दिए। शिकायत के बाद नापतौल विभाग ने कार्रवाई की लेकिन जब्त किया माल भी लौटा दिया। पूरे मामले में शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से शिकायत की है।
शिकायतकर्ता अविजित सिंह ने बताया कि उन्होंने नानाखेड़ा स्थित अमूल आउटलेट से प्रोटीनयुक्त डब्बाबंद पनीर खरीदा था। जिसकी एमआरपी 150 रुपए है। लेकिन दुकानदार द्वारा उस पर मार्कर पेन से १७० रुपए लिख कर बेचा जा रहा था। अमूल का प्रोटीन दूध भी ओवर राइट कर 40 की जगह 45 में बेचा जा रहा था। इसकी शिकायत उन्होंने नापतौल विभाग में की। जिस पर नापतौल अधिकारी संजय पाटणकर ने मौके पर पहुंचकर ओवररेट लिखा माल जब्त किया और दुकानदार आयुष जायसवाल के खिलाफ राजीनामा प्रकरण बना कर संयुक्त नियंत्रक नापतौल भोपाल को भेजा गया। वहां से दुकानदार पर ५००० रुपए का जुर्माना लगाया गया।
जब्त माल लौटाने पर विभाग संदेह के घेरे में
शिकायतकर्ता का कहना है कि मात्र पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाकर विभाग ने प्रकरण समाप्त कर दिया। उसका ओवर रेट लिखा जब्त माल भी लौटा दिया गया। जबकि नियमानुसार एमआरपी में छेड़छाड़ करने के मामले में लाइसेंस निरस्त सहित कानूनी कार्रवाई भी की जानी चाहिए, ताकि दूसरों को भी सबक मिले। अब दुकानदार पुन: बढ़े हुए रेट पर सामान लोगो को बेच रहा है।
कलेक्टर को शिकायत
शिकायतकर्ता ने पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर रौशनकुमार सिंह को की है। उनका आरोप है कि नापतौल विभाग की कमजोर कार्यप्रणाली के कारण ओवररेट या कम वजन सामान बेच रहे लोगों के हौसले बुलंद हैं। कलेक्टर सिंह ने मामले की जांच के लिए कहा है।
राजीनामा करने का विभाग को अधिकार
हमने शिकायत के आधार पर दुकानदार पर कार्रवाई की और एमआरपी में छेड़छाड़ का मामला सही पाया गया। चूंकि दुकानदार ने गलती मान कर एक मौका देने का कहा इस कारण नियमानुसार राजीनामा प्रकरण बनाया, जिस पर पांच हजार का जुर्माना हुआ है। राजीनामा प्रकरण में जब्त माल दुकानदार को लौटा दिया जाता है। अगर दुकानदार दोबारा ओवररेट पर सामान बेचता है तो ग्राहक दोबारा शिकायत कर सकता है। दूसरी बार पकड़े जाने पर मामला न्यायालय में जाता है, जहां से दंड़ात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
संजय पाटणकर, नापतौल इंस्पेक्टर