सोते समय की गई छोटी गलती बच्चों की आंखें बना देती हैं कमजोर, माता-पिता ध्यान रखें

रात की रोशनी बच्चों की दृष्टि को नुकसान पहुंचा सकती है। अधिकतर घरों में रात के समय में बच्चे के कमरों में रोशनी के लिए छोटी सी लाइट जला दी जाती है, ताकि वो डरें न। लेकिन ये छोटी सी रोशनी भी समय के साथ चुपचाप उनकी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती है।

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आंखों के लिए खतरनाक है नाइट बल्ब- अगर आपके बच्चे हैं और आप उनके बेडरूम में छोटी सी लाइट जलाते हैं ताकि वो डरें न तो बता दें कि ये लाइट उनकी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचाती है। डॉक्टर के मुताबिक, जो बच्चे नाइट लाइट्स या कम रोशनी में सोते हैं, उनमें बड़े होने के साथ-साथ मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष विकसित होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन जो लोग पूरी तरह से डार्क रूम में सोते हैं उन्हें खतरा बहुत कम होता है।

मायोपिया क्या है?

मायोपियाकोनिकट दृष्टि दोष भी कहा जाता है। यहएक ऐसी स्थिति है जिसमें दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं,जबकि पास की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। आमतौर पर 20 वर्ष की आयु से पहले इसका निदान किया जाता है।

क्यों पड़ता है आंखों पर असर? आप सोच रहे होंगे कि आखिर लाइट का असर आंखों की रोशनी पर कैसे पड़ सकता है, वो भी इतनी डिम लाइट का। इस बारे में बताते हुए डॉक्टर ने कहा,आंखें बंद करने पर भी ब्लू लाइट बच्चों की आईलिड की पतली त्वचा से होकर गुजरती है और यह आंखों में मेलानोप्सिन सेल्स को उत्तेजित करती है,जो सर्कैडियन रिदम और आंखों के विकास में बाधा डालती है। इससे आंखें बहुत लंबी हो सकती हैं जिससे दूर की दृष्टि धुंधली हो सकती है।

क्या हैं बचने के उपाय:

1- ब्लैकआउट कर्टेन:आप बच्चों के कमरे में ब्लैकआउट कर्टेन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये विशेष रूप से डिजाइन किए गए पर्दे होते हैं जो कमरे में रोशनी की मात्रा को काफी कम कर देते हैं या पूरी तरह से रोक देते हैं।

2- नीली या सफेद लाइट से बचें:इसके अलावा उनके कमरे मेंनीली या सफेद नाइट लाइट लगाने से बचें और यदि जरूरत हो तो बेड से दूर डीम रेड लाइट का इस्तेमाल करें।

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