सरकार का पूरा फोकस शिप्रा जल से स्नान पर
अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कल उज्जैन प्रवास पर रहेंगे। वे यहां कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। प्रमुख कार्यक्रम सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना के भूमिपूजन का रहेगा। इस कार्यक्रम में उनके साथ केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल विशेष रूप से मौजूद रहेंगे।
सिलारखेड़ी परियोजना मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। अक्षरविश्व से हुई विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि हमारी परिकल्पना यही है कि सिंहस्थ-2028 में श्रद्धालु शिप्रा के पवित्र जल से स्नान करें। आखिरी बार 1967 में सिंहस्थ में श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने शिप्रा के जल से स्नान किया था। उसके बाद 1980-1992-2004 के सिंहस्थ में गंभीर से जल लाया गया। 2016 में मां नर्मदा के जल से स्नान हुआ। हमारा पूरा फोकस यही है कि उज्जैन का पेयजल संकट दूर हो, शहरवासियों को साफ पानी मिले। किसानों को खेती में परेशानी न आए। शिप्रा के जल से स्नान से परंपरा भी कायम रहेगी और आस्था भी बनी रहेगी।
दो परियोजनाओं पर काम
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि सिंहस्थ हो या कुंभ, सबमें महत्व स्नान का है। इसलिए इस बार सरकार का पूरा फोकस स्नान पर रहने वाला है। कभी सद्नीरा रहने वाली शिप्रा में अभी जल की कमी है, ऐसे में इस सिंहस्थ में शिप्रा को प्रवाहमान रखने के लिए दो बड़ी योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इन दोनों योजनाओं के पूरा होने से शिप्रा में हमेशा साफ जल उपलब्ध हो सकेगा। सिलारखेड़ी उज्जैन से करीब 16 किलोमीटर दूर है। पंथपिपलई से आलमपुर उड़ाना के दो किलोमीटर बाद यह गांव आता है।
1- शिप्रा को शुद्ध करने का कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट
शिप्रा जल सबसे ज्यादा प्रदूषित कान्ह नदी से होता है। करीब 25 लाख की आबादी वाले इंदौर शहर के नालों और सीवरेज का जल कान्ह में गिरता है। कहने को इन जल को शुद्ध करने के लिए इंदौर में प्लांट लगाए गए हैं लेकिन यह कभी भी ठीक तरह से काम नहीं करते। ऐसे में गंदा पानी कान्ह के जरिए उज्जैन में त्रिवेणी के समीप मिलता है और शिप्रा प्रदूषित होती है। अब कान्ह के पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए हमारी सरकार ने कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना लागू की है।
36 माह में काम पूरा होगा
क्या है योजना – 920 करोड़ की योजना के तहत जमालपुरा में कान्ह पर बैराज का निर्माण किया जा रहा है। यहां कान्ह का जल एकत्र कर गंभीर की डाउनस्ट्रीम में छोड़ जाएगा। 30.15 किलोमीटर लंबी डक्ट बनाई जाएगी। इसमें से 18.15 किलोमीटर की डक्ट कट-कवर एवं 12 किलोमीटर की टनल में होगी। 36 महीने में यह काम पूरा होगा।
2 -शिप्रा प्रवाहमान रखने का सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट
शिप्रा में हमेशा जल की उपलब्धता बनाने के लिए 614.53 करोड़ रुपए से सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट लागू किया गया है। योजना
को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
30 माह में काम पूरा होगा
क्या है योजना में- उज्जैन तहसील के सेवरखेड़ी मेें शिप्रा नदी पर बैराज बनाया जाएगा। इस बैराज से बारिश के मौसम में पानी लिफ्ट कर सिलारखेड़ी तालाब में एकत्र किया जाएगा। सिलारखेड़ी तालाब का गहरीकरण किया जाएगा। तालाब में एकत्र पानी को कुंवारिया गांव के समीप शिप्रा मेंं फिर से प्रवाहित किया जाएगा। इस तरह नदी प्रवाहमान रहेगी। योजना के तहत शिप्रा नदी पर दो बैराज और कान्ह नदी में 5 बैराज अतिरिक्त बनाए जाएंगे। 30 महीने में योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
कार्तिक मेला ग्राउंड पर होगा कार्यक्रम
मुख्यमंत्री कल करेंगे सेवरखेड़ी सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट का भूमिपूजन
उज्जैन. कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना के बाद शिप्रा को प्रहावमान बनाने के लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का काम भी जल्द शुरू होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 614 करोड़ 53 लाख रुपए की इस परियाजना का सोमवार को भूमिपूजन करेंगे। भूमिपूजन कार्यक्रम कार्तिक मेला ग्राउंड पर किया जाएगा।
इसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी शामिल होंगे। अध्यक्षता जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट करेंगे। सिंहस्थ 2028 दृष्टिगत सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना शिप्रा को प्रवाहमान रखने के लिए बनाई है। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद शिप्रा में सालभर निर्बाध रूप से जल उपलब्ध रहेगा। जल संसाधन विभाग की कान्ह क्लोज़ डक्ट और सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना से शिप्रा निर्मल व प्रवाहमान होगी।