सीएम बनते ही परिवार से बोले थे- मुख्यमंत्री मैं बना हूं, आप सभी नहीं बच्चों की पीटीएम में कभी भी शामिल न हो पाने का हमेशा रहेगा मलाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आज जन्मदिन है। इनका महाकालेश्वर और महाराजा विक्रमादित्य के शहर से मुख्यमंत्री निवास तक का सफर सभी के लिए आदर्श बन गया है। सत्ता के शिखर पर पहुंचकर भी सहजता से अपनों से मिलना और उनके लिए समय निकालना डॉ. मोहन यादव की पहचान है।
उनके इसी सफर पर केंद्रित साक्षात्कार के लिए अक्षरविश्व के प्रबंध संपादक श्रेय जैन ने उनसे उनके कार्यक्षेत्र के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन के कई अनछुए पहलुओं को भी जानने का प्रयास किया। उज्जैन सर्किट हाउस पर जब भेंट का समय पर्याप्त नहीं रहा तो मुख्यमंत्री ने उज्जैन से भोपाल तक हेलिकॉप्टर में यात्रा करते हुए श्रेय जैन ने बात की।
डॉ. यादव ने अपनी शैली और बेबाक अंदाज में ठहाकों के साथ सभी सवालों के जवाब दिए और भोपाल पहुंचने के कुछ मिनिट पहले मुस्कुराते हुए बोले मैंने सारे सवालों के जवाब दे दिए हैं या और कुछ बाकी है? पेश है प्रदेश के विकास, उनकी जीवन शैली, उनके आदर्श, राजनैतिक और पारिवारिक जीवन के तालमेल और उसकी कठिनाइयों पर केंद्रित साक्षात्कार के संपादित अंश….
Q.आपका रूटीन सुबह 6 बजे से शुरू होता है और रात 12 तक चलता है। ऊर्जा कहां से आती है?
A.सुबह जल्दी उठना, दिन भर कार्य करना यह मेरी दिनचर्या का हिस्सा बचपन से रहा है। विभिन्न तरह के काम करने की मेरी रुचि की वजह से मैं बिना थके दिनभर एक जैसी ऊर्जा से काम कर पाता हूं। मेरी मेहनत और दिनचर्या के आदर्श हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं। उनकी सीख और आदर्श का मेरे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है, वह मेरे प्रेरणा स्त्रोत हैं।
Q.लोग कहते हैं कि सीएम बनने से पूर्व जैसे थे वैसे ही आज भी हैं?
A.मेरा मानना है कि पद आएंगे,चले जाएंगे। यदि पद को अपने ऊपर हावी होने दिया तो यह मुझे अपने ही लोगों से दूर कर देगा। इससे मुझसे जुड़े लोग भी खुश नहीं होंगे और मैं स्वयं भी खुश नहीं रहूंगा। मैं पहले जैसा था, आज भी वैसा ही हूं। लोगों का मेरे प्रति प्रेम और स्नेह ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। यही मेरी ताकत है।
Q.आपके परिवारजनों पर राजनैतिक कद का प्रभाव क्यों नहीं पढ़ा?
A.मुख्यमंत्री मैं 2023 में बना। इसके पूर्व भी सत्ता-संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर रहा। मैंने हमेशा परिवार को अपने राजनैतिक कद के प्रभाव से दूर रखने का प्रयास किया है जिससे उनमें अहंकार न आए। सीएम बनने पर मैंने परिवार से पहली बात ही यही कही थी, मैं मुख्यमंत्री बना हूं आप सभी नहीं।
Q.सिंहस्थ 2028 के स्वीकृत कुछ विकास कार्यों का विरोध है?
A.विकास कार्य करने में यह देखना होता है कि इसका लाभ आमजन तक कितना पहुंचेगा। यदि यह प्रतिशत 90-95 से ऊपर है तो उस विकास कार्य को करना जरूरी है। यहीं पर मेरी, मेरे साथियों और अधिकारियों की भूमिका अहम है। हम शेष 5-10 प्रतिशत जनता को कैसे संतुष्ट करें। यह जरूरी है।
Q.जीआईएस में साइन एमओयू धरातल पर कब उतरेंगेे?
A.परिणाम तो कुछ महीनों में ही दिखने लगेंगे और 4 वर्षों में यह सभी धरातल पर होंगे। इससे रोजगार के असीमित अवसर पैदा होंगे। उज्जैन, रीवा, शहडोल, नर्मदापुरम जैसे शहरों में भी संभावनाएं हैं और इंडस्ट्री की अनुकूलता है। इन शहरों के युवा मेट्रो शहरों में जाने को मजबूर है। अब इनको अपने शहर में रोजगार मिलेगा।
Q.सिंहस्थ कार्य समय पर पूरे होंगे यह सवाल लोगों के मन में है?
A.हमने सभी इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधित विकास कार्यों के पूर्ण करने की डेडलाइन जून 2027 रखी है। ताकि 2027 में आने वाले मानसून के पहले सारे कार्य पूर्ण हो जाएं। हम इसके लिए सतत मॉनीटरिंग कर रहे हैं। हर सप्ताह अफसरों से मीटिंग हो रही है। सीएस, पीएस खुद कार्यों को लेकर मीटिंग कर रहे हैं।
Q.आर्थिक सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश की विकास दर 13त्न आंकी है, यह कमाल कैसे किया?
A.पहले दिन से राज्य में उपलब्ध विभिन्न अनुकूलता का भरपूर लाभ लेने की दिशा में प्रयास रहा है। अनावश्यक खर्चों में कटौती और ऐसे कार्यों पर ध्यान दिया जिससे कि आय के स्त्रोत बढ़ाए जा सकें। जब मैं उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बना तब प्राधिकरण का स्थापना व्यय 80त्न था। तब हम इसे 7त्न पर ले आए थे। प्राधिकरण की आय 14 गुना बढ़ा दी थी। उज्जैन में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से महाकाल लोक का निर्माण हुआ। यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा 2022 में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद से उज्जैन पूरे देश में धार्मिक टूरिज्म का केंद्र बिंदु बन गया है। इसी तरह हम भी 2028 का सिंहस्थ मेला इतना भव्य और अलौकिक करेंगे कि उज्जैन देश में सबसे बड़ा आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र बन जाएगा।
Q.आपकी व्यस्तताएं बहुत ज्यादा हैं, इन सबके बीच परिवार के लिए समय कैसे निकाल पाते हैं?
A.आप जानते ही हैं कि मेरे साथ मुख्यमंत्री निवास में मेरा कोई परिवार का सदस्य नहीं रहता है। सभी अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हैं। मेरे राजनैतिक जीवन के शुरुआत से ही मेरी व्यस्तताएं रही हैं और यह मेरे परिवार ने सहजता से स्वीकार किया है। वह मेरी कठिनाई और समय की कीमत समझते हैं। मैं उनसे हमेशा कहता हूं कि यदि मैं फौज में होता तब क्या करते? हां मुझे बच्चों की पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में नहीं जा पाने का मलाल हमेशा रहेगा। मैं तीनों बच्चों में से किसी की भी पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग, एनुअल फंक्शन या किसी अकेडमिक या अन्य कार्य में सम्मिलित नहीं हो सका। जब मैं पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष था तब बेटी आकांक्षा मेडिकल कॉलेज के फाइनल ईयर में थी।
उसने मुझे फोन पर कहा कि पापा कल कॉलेज में एनुअल फंक्शन है जिसमे मेरी एक प्रस्तुति भी है। आप बचपन से आज तक कभी मेरे किसी फंक्शन में नहीं आए प्लीज इस बार आ जाना यह आखिरी मौका है। अगले दिन फंक्शन से ठीक एक घंटा पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने एक आवश्यक बैठक बुला ली और मुझे वहां जाना पड़ा। बैठक के बाद मुझे समझ में नहीं आया कि बेटी को कैसे फेस करूंगा। मैंने एक मिठाई की दुकान से मिठाई ली और उसके हॉस्टल पहुंचा।
वह हॉस्टल से एक दम खुश होते हुए बाहर आई। मुझे लगा कि मैं इस बार भी इसके फंक्शन में नहीं आया तो इसे तो नाराज होना चाहिए। मैंने उसे नहीं आ पाने का कारण बताते हुए पूछा कि बेटी तुम मुझसे नाराज तो नहीं हो? वह ठहाका लगाते हुए बोली मुझे पता था जब आप 14 साल में कभी नहीं आए तो इस बार भी नहीं आ पाओगे। इसलिए मैंने पहले ही बुआ (कलावती दीदी) को बुला लिया था।