पीरझलार के पुजारी पर लगा प्रतिबंध खत्म, दोनों पक्षों में समझौता, बहिष्कार का निर्णय वापस लिया

पंचायत के फैसले के बाद बच्चों का स्कूल में बैठाना तक बंद कर दिया था
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। बडऩगर के पीरझलार गांव की पंचायत ने गांव के पुजारी के खिलाफ फैसला सुनाया कि पुजारी पूनमचंद का बहिष्कार किया जाता है। गांव में पुजारी को कोई सुविधा नहीं मिलेगी। दूध वाला दूध नहीं देगा, किराना नहीं मिलेगा। नाई कटिंग नहीं बनाएगा। कोई सुख-दु:ख में शामिल नहीं होगा।
पंचायत के इस फैसले के बावजूद अगर कोई पुजारी की मदद करता है तो उस पर 51 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया जाएगा। यह फैसला इसलिए सुनाया गया, क्योंकि पुजारी ने शासकीय मंदिर से भगवान देवनारायण की प्रतिमा को अन्य जगह मंदिर में स्थापित किए जाने का विरोध किया था। इस मामले ने तूल पकड़ा।
मामला कलेक्टर और एसपी तक पहुंचा। बडऩगर थाना प्रभारी अशोक पाटीदार ने दोनों पक्षों को बुलाया। बुधवार की रात करीब साढ़े आठ बजे पंचायत बैठी और दस बजे तक चलती रही। दोनों पक्षों में समझौता हो गया। पंडित का बहिष्कार समाप्त हो गया। इस पंचायत का वीडियो भी बना और लिखित में भी दिया गया।
पंचायत बुलाई थी पटेल ने
14 जुलाई को गांव के पटेल इंदरसिंह ने पंचायत बुलाई थी। डोंडी भी पिटवाई गई। संचालन गोकुलसिंह देवड़ा ने किया। बहिष्कार का फैसला सुनाने के बाद पुजारी पूनमचंद का परिवार सकते में आ गया। उनके तीन पोता-पोती को तीन दिन से गांव के प्राइवेट स्कूल वालों ने भी स्कूल में बैठाना बंद कर दिया। पुजारी ने बुधवार को कलेक्टर रौशन कुमार सिंह तथा एसपी प्रदीप शर्मा को घटना की जानकारी दी। अधिकारी भी हरकत में आए। पुजारी के यहां शाम को टीम भेजी गई।
पंचायत ने फैसले में कहा था
- कोई भी दूध वाला दूध नहीं देगा
- किराने का सामान नहीं दिया जाएगा
- बच्चों को स्कूल में नहीं बैठाएंगे
- कोई सुख दु:ख में शामिल नहीं होगा
- फरमान नहीं माना तो 51 हजार का दंड
कलेक्टर और एसपी को यह बात लिखित में बताई पुजारी ने
कलेक्टर-एसपी को दी शिकायत में पुजारी ने बताया कि बडऩगर तहसील में सर्वे क्रमांक 1322 पर भगवान देवनारायण का देव धर्मराज नाम से प्राचीन मंदिर है। राजस्व अभिलेख में उक्त नाम पर ही मंदिर है। इसमें मैं पूनमचंद पुजारी हूं। मुझे मंदिर की देखरेख के लिए शासन से मानदेय दिया जाता है।
गांव के कुछ व्यक्ति मंदिर की शासकीय भूमि को हड़पना चाहते हैं तथा मंदिर को अन्य जगह शिफ्ट करना चाहते हैं। मैंने मंदिर हित की रक्षा और प्राचीन मूर्ति को खंडित होने व विस्थापन से बचाने के लिए पुजारी की हैसियत से व्यवहार न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया, जिसके बाद से गांव के दंबगों ने पंचायत बुलाकर मेरे परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया। गांव में कोई बात नहीं कर रहा। तीन पोता-पोती हैं, जो गांव के प्राइवेट स्कूल में जाते हैं, उन्हें भी स्कूल वालों ने बैठाना बंद कर दिया है।
थाना प्रभारी की भूमिका सराहनीय रही: एसपी
पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि पीर झालार के पुजारी के खिलाफ बहिष्कार के फैसले को लेकर जानकारी मिली थी। पुजारी ने अपना पक्ष रखा था। इस मामले के निपटारे के लिए बडऩगर थाना प्रभारी अशोक पाटीदार को निर्देश दिए थे। उन्होंने दोनों पक्षों को बुलाया और सूझबूझ से काम लेते हुए समझौता करवा दिया है। पुजारी पर लगाया प्रतिबंध और बहिष्कार वापस ले लिया गया है। थाना प्रभारी की भूमिका सराहनीय रही। दोनों पक्षों ने गांव की एकता और सद्भाव का परिचय दिया।
टीआई बोले- दोनों पक्षों में समझौता करा दिया
बडऩगर थाना प्रभारी अशोक पाटीदार ने बताया कि पुजारी के बहिष्कार को लेकर मामला तूल पकड़ रहा था। पुलिस अधीक्षक और कलेेक्टर तक शिकायत हुई। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर बुधवार की रात साढ़े आठ बजे दोनों पक्षों को बुलाया गया। रात बजे तक पंचायत चलती रही। पहले जो स्थिति वही रहेगी। दोनों पक्ष विवाद नहीं करेंगे।
पुजारी के बहिष्कार का निर्णय वापस ले लिया गया है। पंचायत में इंदर सिंह पटेल और पुजारी पूनमचंद के अलावा गोकुल सिंह, जितेंद्र चौधरी, कालूराम, मुकेश कुमार, भीम सिंह, मोहनलाल, राजेश कुमार, हीरालाल, मुकेश लौधी, मुकेश चौधरी सहित कई लोग थे। दोनों पक्षों से लिखित में इकरारनामा हुआ। अब वे भविष्य में भी इस मुद्दे को लेकर विवाद नहीं करेंगे। पुलिस विभाग की ओर से वीडियो भी बनाया गया।