शादियों पर लगा ग्रहों का ग्रहण कल से हटेगा, सूर्य करेंगे राशि परिवर्तन

नवंबर में 7, दिसंबर में 5 मुहूर्त, जनवरी में एक भी विवाह मुहूर्त नहीं
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। इस वर्ष विवाह मुहूर्त का सिलसिला देवउठनी एकादशी से शुरू होने के बावजूद देरी से प्रारंभ हो रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सूर्य देव 18 नवंबर को तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जिसके बाद 21 नवंबर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। हालांकि, शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण जनवरी का महीना पूरी तरह से विवाह मुहूर्तों से खाली रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. वीपी शुक्ला ने बताया कि देवउठनी एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम विवाह के बाद मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। सूर्य देव 18 नवंबर को दोपहर 1.38 बजे वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस परिवर्तन के बाद ही विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों में तेजी आएगी।
नवंबर-दिसंबर में कम मुहूर्त
नवंबर और दिसंबर माह में कुल 12 दिन ही विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त हैं, जिसके कारण इन तिथियों पर बुकिंग्स जोरों पर हैं। नवंबर में 7 मुहूर्त हैं। 21, 22, 23, 24, 25, 29 और 30 नवंबर को विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त हैं। इन तारीखों पर रिसेप्शन, हल्दी और मेहंदी जैसे कार्यक्रम भी हो रहे हैं। दिसंबर में 5 मुहूर्त हैं। दिसंबर के पहले सप्ताह में केवल 1, 4, 5, 6 और 7 दिसंबर को ही शादियों के मुहूर्त हैं। इसके बाद साल के अंत तक कोई मुहूर्त नहीं है।
जनवरी में एक भी मुहुर्त नहीं
मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लगने का मुख्य कारण शुक्र ग्रह का अस्त होना है। 14 दिसंबर को शुक्र ग्रह अस्त हो जाएगा। शुक्र 11 दिसंबर को सुबह 6.35 बजे अस्त होगा और 1 फरवरी 2026 को शाम 6.27 बजे तक अस्त रहेगा। इस अवधि में मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। इस कारण जनवरी 2026 में विवाह का एक भी मुहूर्त नहीं है। फरवरी के पहले सप्ताह में शुक्र के उदय होने के बाद ही फिर से शहनाइयां गूंजेंगी।
गार्डन और बैंड-बाजे फुल
मैरिज गार्डन कारोबारी ओमप्रकाश गेहलोत ने बताया कि कम मुहूर्त होने के कारण सभी खास तिथियों पर मैरिज गार्डन, धर्मशालाएं और होटलें पहले से ही फुल हो चुकी हैं। फरवरी तक के मुहूर्त वाले दिनों के लिए 90 प्रतिशत तक वैन्यू दो से तीन माह पहले ही बुक हो गए थे। बैंड-बाजे और घोडिय़ों की भी मांग बनी हुई है।
लोगों ने मुहुर्त का भी विकल्प निकाला
इन दिनों मुहुर्त नहीं होने के बाद भी कुछ शादियां हो रही हैं। पं. विजय शर्मा बताते हैं कि बिना मुहुर्त के विवाह पाती की लग्न निकाल कर किए जा सकते हैं। इसके लिए भगवान श्री चिंतामन गणेश मंदिर पर सुविधानुसार दिन तय कर उस दिन भगवान श्री गणेश के नाम की पाती पर शादी के मुहुर्त निकाले जाते हैं। पाती की लगत से इन दिनों विवाह करने का चलन बढ़ रहा है। क्योंकि इस दिन होटल, गार्डन, धर्मशाला, घोड़ी-बैंड सभी फ्री रहते हैं और बजट में इनकी बुकिंग करने में सुविधा होती है।









