सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले कुलियों पर छाया रोजी रोटी का संकट, नहीं मिल रहे यात्री

By AV News

उज्जैन रेलवे स्टेशन पर पहले जहां 40 कुली काम करते थे, अब बचे हैं महज 17

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। एक जमाना था जब देश के प्रत्येक स्टेशन पर बड़ी संख्या में कुली काम करते थे। यात्रियों का सामान स्टेशन से बाहर व अंदर लाने ले जाने में इनकी अहम भूमिका होती थी। स्थिति यह थी कि सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने कुली नामक फिल्म में अभिनय किया जो सुपरहिट रही थी, लेकिन आज इन्हीं कुलियों के सामने रोजी रोटी का संकट छा गया है। स्थिति यह है कि उज्जैन रेलवे स्टेशन पर 40 में से मात्र 17 कुली ही काम कर रहे हैं।

ऐसे बदलते गए कुलियों के हालात

उज्जैन रेलवे स्टेशन की शुरुआत से रेलवे विभाग द्वारा 40 कुलियों को पीतल का बिल्ला देकर प्लेटफार्म पर यात्रियों का सामान लाने ले जाने का लाइसेंस दिया गया था। हालांकि उस समय गिनती की ट्रेनों का आवागमन उज्जैन में होता था बावजूद इसके कुली इतना कमा लेते थे कि उनका जीवन यापन हो सके। समय के साथ परिस्थितियां बदलती चली गईं। रेलवे द्वारा भी यात्रियों की सुविधा के लिये स्टेशन पर अनेक निर्माण और बदलाव किए गए। वर्तमान में उज्जैन रेलवे स्टेशन पर रुकने वाली ट्रेनों की संख्या में तो बढ़ोत्तरी हुई लेकिन कुलियों की संख्या आधी से भी कम रह गई।

अधिकांश ट्रेनें प्लेटफार्म 1 पर ही रुकती हैं: उज्जैन रेलवे स्टेशन पर सबसे अधिक ट्रेनों का ठहराव प्लेटफार्म क्रमांक 1 पर ही होता है। प्लेटफार्म पर ट्रेन से उतरने के बाद यात्री कुछ ही दूरी तय कर स्टेशन से बाहर निकल जाते हैं। उज्जैन रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 1 से बाहर जाने के लिये मालगोदाम, यात्री प्रतीक्षालय, मेनगेट सहित अन्य रास्ते हैं इस कारण यात्रियों को सामान लेकर अधिक दूरी तक चलना भी नहीं पड़ता।

घर चलाना तक मुश्किल हो रहा है

मुकेश सूर्यवंशी बताते हैं कि रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आवागमन होता है लेकिन सूटकेस, बैग या अन्य सामान उठाने के लिये यात्री कुलियों की मदद नहीं लेते। रेलवे पार्सल का सामान ट्रेन में चढ़ाने उतारने का काम ही मिल रहा है। ऐसी स्थिति में घर चलाना, बच्चों की पढ़ाई आदि काम प्रभावित हो रहे हैं। अधिकांश कुली चाहते हैं कि रेलवे उन्हें गैंगमेन की नौकरी पर रख ले ताकि जीवन यापन हो सके। रेलवे कुलियों को छह माह में एक बार ट्रेन में पत्नी के साथ जनरल कोच में यात्रा की सुविधा देती है इसके अलावा मेडिकल सुविधा भी कुलियों को मिलती है।

मुकेश सूर्यवंशी बताते हैं कि रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आवागमन होता है लेकिन सूटकेस, बैग या अन्य सामान उठाने के लिये यात्री कुलियों की मदद नहीं लेते। रेलवे पार्सल का सामान ट्रेन में चढ़ाने उतारने का काम ही मिल रहा है। ऐसी स्थिति में घर चलाना, बच्चों की पढ़ाई आदि काम प्रभावित हो रहे हैं। अधिकांश कुली चाहते हैं कि रेलवे उन्हें गैंगमेन की नौकरी पर रख ले ताकि जीवन यापन हो सके। रेलवे कुलियों को छह माह में एक बार ट्रेन में पत्नी के साथ जनरल कोच में यात्रा की सुविधा देती है इसके अलावा मेडिकल सुविधा भी कुलियों को मिलती है।

यह है कुलियों की परेशानी

मुकेश सूर्यवंशी बताते हैं कि उनके पिता यहां कुली का काम करते थे। उनके बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली है। पुराने समय में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिये सीढिय़ों का उपयोग होता था। वर्तमान में रेम्प बना दिये गये हैं, सभी प्लेटफार्म पर लिफ्ट है इसके अलावा एस्केलेटर भी लग गये हैं। ऐसे में अधिकांश यात्री अपना बैग, सूटकेस व अन्य सामान स्वयं ही एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक ले जाते हैं। पहले पिट्ठू बैग, ट्राली बैग भी नहीं थे। अब बड़े से बड़े ट्रॉली बैग भी यात्री स्वयं ही खींचकर ले जाते हैं।

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