बदबू से घाट पर बैठना मुश्किल, आंधी चलने से घाट की सीढिय़ों पर गिरा चैजिंग रूम
उज्जैन। शिप्रा में मछलियों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है। हालत यह है कि गुरुवार को बदबू के चलते स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं का घाट पर बैठना भी मुश्किल हो गया। कई श्रद्धालु नाक पर रूमाल रखकर निकलते रहे। दरअसल, पिछले दिनों भी रामघाट पर गंदे पानी और ऑक्सीजन की कमी के चलते बड़ी तादाद में मछलियों ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया था। जिसके बाद रामघाट पर नदी का जलस्तर बढ़ा गया था ताकि जलीय जीवों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके लेकिन पानी गंदा होने से मछलियों के मरने का सिलसिला नहीं रुका। अभी भी गंदे पानी में मरी हुई मछलियां तैर रही हैं और उनकी बदबू से यहां आने वाले श्रद्धालु परेशान हो रहे हैं।
पानी बढऩे से खतरा बढ़ा
इधर, नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है जो छोटी रपट को छू रहा है। ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से लगाई गई रस्सियां और चेतावनी लिखे बोर्ड कई जगह आधे डूब गए हैं। ऐसे में खतरा भी बढ़ गया है। रामघाट पर तैराक प्रभारी ईश्वरलाल चौधरी का कहना है कि छोटी रपट तक पानी होने से खतरा तो है, ऐसे में श्रद्धालुओं का गहराई का अंदाजा नहीं रहता और हादसे हो जाते हैं। नदी का पानी छोटी रपट से डेढ़ फीट कम होना चाहिए।
ऐसी हवा चली कि…
बीते दो दिनों से मौसम बदल गया है जिसके चलते शाम होते ही धूल भरी आंधी चल रही है। बुधवार शाम भी ऐसा ही मौसम रहा जिसके चलते दत्त अखाड़ा घाट पर रखा लोहे के पतरों से बना चैजिंग रूम घाट की सीढिय़ों पर लुढक़ गया। गुरुवार सुबह भी यह इसी हालत में पड़ा रहा।