सनातन धर्म का मूल वेद है : देवदित्यानंदजी

घनपाठ का पारायण करने वाले ब्राह्मणों का किया सम्मान

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उज्जैन। श्री राघवानंद कंठस्थ वेद पारायण माला द्वारा आयोजित 25 दिवसीय एकाकी शुक्ला यजुर्वेद मांध्यदिनी शाखा कंठस्थ घनपारायण महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव के नौवें दिन स्वामी श्रीदेवदित्यानंद सरस्वतीजी ने श्री ललित त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ आश्रम नृसिंह घाट पर अपने प्रवचन में कहा कि सनातन धर्म का मूल वेद है।

वेद की उपासना दान के प्रकल्पों से भी होती है। जो वेद अध्ययन नहीं कर सकते वो वेदपाठी ब्राह्मणों को दान आदि प्रकल्पों से वेद आराधना का फल प्राप्त करे। इस अवसर पर घनपाठ का पारायण करने वाले वेद मूर्ति ऋ षभ शर्मा और गुरुजी वेदमूर्ति उमेश शर्मा का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया।

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साथ ही श्री सच्चिदानंद शर्मा, जगदीश शर्मा, डी.पी. शर्मा, उदय अग्निहोत्री, नीलकंठ महादेव भक्त मंडल के प्रमुख पंडित सपन व्यास, अरविंद व्यास आदि ने भी महाराजजी का स्वागत सम्मान किया। यह जानकारी प्रवीण शर्मा ने दी।

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