विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की बैठक कल

By AV News 1

विभिन्न योजनाओं के 100 करोड़ के प्रस्ताव पर निर्णय संभव

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक कल 13 अगस्त को दोपहर 12 बजे होगी। बैठक की अध्यक्षता कुलगुरू प्रो. अखिलेश कुमार पांडे करेंगे। कुलगुरू अध्यक्षता में अंतिम बैठक मानी जा रही है। दरअसल कुलगुरू का चार वर्षीय कार्यकाल अगले माह 14 सितंबर को समाप्त हो रहा है। प्रशासनिक भवन स्थित कार्यपरिषद सभाकक्ष में आयोजित बैठक में विभिन्न योजनाओं के 100 करोड़ रुपए के प्रस्ताव सहित अनेक विषयों पर मंथन के बाद निर्णय लिए जाएंगे।

बताया जा रहा है कि कार्यपरिषद बैठक के एजेंडे में रूटिंग के मुद्दे शामिल किए गए हैं।अन्य कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे कुलपति द्वारा बैठक की अध्यक्षता करने के दौरान रखे जाएंगे। खास तौर से केंद्रीय स्तर से विक्रम विश्वविद्यालय को स्वीकृत हुए करीब 100 करोड़ रुपए को लेकर विभिन्न योजनाएं बनाकर प्रस्ताव दिए जाएंगे।कुछ शिक्षकों के प्रमोशन से जुड़े मद्दे भी रखे जा सकते हैं। कुलगुरू प्रो.अखिलेश कुमार पांडे का चार वर्षीय कार्यकाल अगले महीने 14 सितंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में मंगलवार को होने वाली कार्य परिषद की बैठक उनके कार्यकाल के अंतिम बैठक रहेगी।

लॉ विभाग के शिक्षक का मुद्दा भी उठेगा

विक्रम विश्वविद्यालय के लॉ विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आए चार शिक्षकों को शासन ने वापस कॉलेजों में भेज दिया है। चारों शिक्षकों को जुलाई के अंतिम सप्ताह में रिलीव भी कर दिया है। इधर, लॉ विभाग में अब पढ़ाने के नाम पर एक भी शिक्षक मौजूद नहीं है। इसको लेकर विद्यार्थी परिषद ने कुलगुरु का घेराव भी किया था। वहीं दो दिन पहले ही उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को ज्ञापन देकर शिक्षकों की मांग रखी थी। विभाग की हालत यह है कि अलग-अलग पाठ्यक्रम में अध्ययन करने वाले विद्यार्थी आते है और घंटे- दो घंटे बैठकर चले जाते है। अधिकांश विद्यार्थियों ने विभाग में आना ही छोड़ दिया है। विभिन्न पाठ्यक्रम में यहां करीब 300 विद्यार्थी हैं। अभी भी कुलगुरु प्रो. पांडे शिक्षकों की व्यवस्था शासन स्तर से कराने का आश्वासन दे रहे हैं। संभव है कि कार्यपरिषद की बैठक के दौरान भी शिक्षक नहीं होने का मुद्दा उठेगा।

पांच साल पहले जारी किया था नोटिस

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने 26 नवम्बर 2018 को विक्रमम विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न विश्वविद्यालय के विधि पाठ्यक्रम को निलंबित किया जाए। क्योंकि अनुसूची 3 की धारा 24 और 25 एवं अन्य वैधानिक दायित्व की बाध्यता का पालन नहीं किया जा रहा और विश्वविद्यालय को अनिवार्य दिशा निर्देश दिए कि तीन सेवानिवृत्त प्राध्यापकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर, वैधानिक नियमों के विरुद्ध है। अध्य्यनशाला में विधि के एवं सामाजिक विज्ञान के सक्षम प्राध्यापकों की नियमित आधार पर निश्चित संख्या में नियुक्ति करनी होगी। इसके बाद भी विश्वविद्यालय द्वारा इस दिशा में कोई पहल नही की।

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