उज्जैन: बजट पर खटपट, लोकायुक्त में जा सकता मामला

By AV NEWS

नगर निगम में रफ बजट बुकलेट से चल रहा काम

10 करोड़ रुपए के भुगतान पर सवाल

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:नगर निगम में होटल और रेस्टोरेंट पर साइन बोर्ड पर संचालकों के नाम लिखे जाने को लेकर हुए शीतयुद्ध के बाद बजट की बुकलेट को लेकर विवाद गरमा गया है। रफ बुकलेट के आधार पर ही 10 करोड़ रुपए का भुगतान करने के मामले में लोकायुक्त और ईओडबल्यू को शिकायत करने की तैयारी चल रही है।

नगर निगम में नगर सरकार और प्रशासन के बीच चल रहे शीतयुद्ध की कड़ी के रूप में ताजा विवाद को देखा जा रहा है। बुधवार को एमआईसी सदस्य रजत मेहता, शिवेंद्र तिवारी, प्रकाश शर्मा, कैलाश प्रजापत, डॉ. योगेश्वरी राठौर, सत्यनारायण चौहान, पार्षद जितेंद्र कुवाल, लीला वर्मा आदि ने निगम के वित्त विभाग के अपर आयुक्त दिनेश चौरसिया को इस बात का विरोध दर्ज कराया कि बजट को मार्च माह में मंजूरी दी जा चुकी है तो अब तक विधिवत बुकलेट जारी क्यों नहीं की।

नियमानुसार बजट पास होने पर उसकी बुकलेट तैयार होती है और सील लगाकर सभी विभागों को भेजी जाती है। इस बार बुकलेट तैयार किए बिना ही रफ बजट के आधार पर काम हो रहे। सूत्रों के अनुसार इस मामले को लेकर अब लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को शिकायत करने की तैयारी चल रही है, क्योंकि निगम द्वारा 10 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।

जनप्रतिनिधियों पर भारी अफसरशाही!

निगम में जनप्रतिनिधियों पर अफसरशाही भारी साबित हो रही है। यह दूसरा बड़ा घटनाक्रम है, जब निगम प्रशासन द्वारा जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की जा रही। इसके पहले नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक ने महापौर मुकेश टटवाल की उस बात का खण्डन कर दिया था जब उन्होंने कहा था कि होटल और रेस्टोरेंट पर मालिकों या संचालकों के नाम न लिखे जाने पर 5 हजार रुपए तक का जुर्माना करने का आदेश जारी किया जा चुका है। निगम में अपर आयुक्त रहते हुए ही पाठक ने यह इस आदेश की एक विज्ञप्ति अखबारों में जारी की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के समय इसकी घोषणा की गई थी। एमआईसी ने इसका भी सारा रिकॉर्ड तैयार कर लिया है।

बुकलेट जरूरी, काम नहीं रोक सकते

बजट पास होने के बाद बुकलेट विधिवत तैयार कर जारी करना जरूरी है, लेकिन इसके कारण काम रोके नहीं जा सकते।-डॉ. दिनेश चौरसिया, अपर आयुक्त, वित्त नगर निगम

बुकलेट जारी नहीं तो 10 करोड़ जारी क्यों?

बजट पास होने के बाद अगर बुकलेट विधिवत जारी नहीं हो पाती है तो वह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। बिना इसके 10 करोड़ रुपए का भुगतान क्यों किया? इसका जवाब अपर आयुक्त वित्त से मांगा है, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। शिवेंद्र तिवारी, प्रभारी लोक निर्माण समिति, एमआईसी

Share This Article