उज्जैन : दादाजी की डेड बॉडी हटाते ही पलंग खाली हो गया…

नई चादर बिछाकर तुरंत पोता सो गया और बोला…मैं यह बेड किसी को नहीं दूंगा

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उज्जैन। एक परिवार में दादाजी कोविड पॉजीटिव्ह आए। उनके बेटे की मौत हो चुकी थी,इसलिए पोता उनकी साज संभाल करने लगा। इस बीच पोता भी पॉजीटिव आ गया। फ्रीगंज के जिस निजी हॉस्पिटल में दादाजी का उपचार चल रहा था, वहां के प्रबंधन से पोते ने कहाकि आप एक बेड मुझे भी दे दो दादाजी के पास। ताकि में उनकी साज संभाल भी कर लूंगा और मैरा उपचार भी हो जाएगा। हॉस्पिटल प्रशासन ने असमर्थता जाहिर करते हुए कह दिया…सॉरी।

दादाजी की तबियत बिगड़ती चली जा रही थी। इस बीच पोते के पास मोबाइल फोन आया कि आप हॉस्पिटल आ जाओ, दादाजी की मौत हो गई है। अब पोता हॉस्पिटल पहुंचा और बोला- दादाजी को तो आप बचा नहीं सके,मुझे बचा लो…। मेरे पिता का पूर्व में ही निधन हो चुका है। अब घर की सारी जिम्मेदारी मैरे उपर है। मैं जींदा रहना चाहता हूं।

स्टॉफ उसकी यह बाते सुनता रहा और कोई जवाब नहीं दिया। इधर जैसे ही दादाजी का शव पलंग से उठाया गया, पोते ने एक बेड शीट मांगी। स्टॉफ कुछ समझ नहीं सका और बेड शीट दे दी। पोते ने दादाजी के शव को हटाने के बाद खाली हुए पलंग पर नई बेडशीट डाली और सो गया। साथ ही रोते-रोते पलंग के दोनों ओर के पाइप कसकर पकड़ लिए और बोला- मैं नहीं उठूंगा इस पलंग से अब। मेरा इलाज करो। दादाजी तो चले गए, मुझे बचा लो। घर पर आई…को कौन देखेगा मैं नहीं रहूंगा तो? यह सुनकर स्टॉफ की आंखों से अश्रु बह निकले। एक स्टॉफ नर्स ने उसके सिर पर हाथ फेरकर कहा- रोओ मत, कोई नहीं उठाएगा तुम्हे इस पलंग से। तुम ठीक होकर जाओगे यहां से आई की सेवा करने। अब उक्त युवक ठीक हो रहा है। हालांकि चर्चा करने पर वह इतना ही कहता है। मैं क्या करता? उस समय मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। फिर वह पूछता है- क्या मैंने उस समय गलत किया था? और फिर से रोने लगता है।

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