कांग्रेस के ‘दरबार’ में ‘मंगल-प्रवेश’ का प्रयास..!

शहर के दो नेता लौटने की फिराक में…
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कुछ महिनों पहले कांग्रेस छोड़कर गए दो नेता पार्टी के ‘दरबार’ में ‘मंगल-प्रवेश, का प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के ‘नाथ’ द्वारा इस पर कान नहीं देने से मसला ‘कानाफूसी, में चल रहा हैं।
एक नेता तो अपने ‘आका’ के पीछे-पीछे चलकर कांग्रेस छोड़ गए थे, कुछ समय बाद दूसरे नेता जी ‘अपनी आर्थिक सुरक्षा, के लिए कांग्रेस का ‘दरबार’ छोड़कर इंदौर के एक नेता के साथ सीधे राजधानी जाकर भाजपाई बने थे।
दोनों भाजपाई तो बन गए पर वह ‘तवज्जो’ नहीं मिली जिसकी ‘उम्मीद’ थी और जिसके लिए भाजपा का दामन थाम लिया। इन दोनों को फिर से ‘दलबदल’ में कितनी सफलता मिलती हैं, यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
फिलहाल तो राजनीतिक हलकों में चर्चा हैं कि दो नेता ‘आ अब लौट चले’ की तर्ज पर कांग्रेस में शामिल होने की राह पर निकले हैं। कोशिश हैं कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से उनकी ‘घर वापसी’ हो जाए।
कहा जा रहा है कि कभी कांग्रेस में विधानसभा सभा स्तर के नेता थे, उन्हें पार्टी बदलने के बाद इनके साथ मंडल और वार्ड स्तर के ‘कार्यकर्ताओं’ जैसा व्यवहार हो रहा है। पार्टी के कार्यक्रमों में लटके-झटके के साथ ‘बिना बुलाए मेहमान’ की तरह पहुंचते, कभी-कभी मंच भी मिल जाता है, पर वह महत्व तो कभी मिला ही नहीं, जिस ‘उपेक्षा’ का आरोप लगाकर कांग्रेस को छोड़ा था।
बहरहाल अब दोनों कांग्रेस में शामिल होने के लिए ‘हाथ-पैर’ मार रहे हैं। खबर आ रही है कि इन दोनों भाजपाइयों ने पुन: कांग्रेस में आने की राह तलाशते हुए भारत जोड़ो यात्रा को उचित अवसर मानते राहुल गांधी के समक्ष कांग्रेसी बनाने की मंशा का संदेश वरिष्ठ कांग्रेस तक पहुंचा दिया, लेकिन ‘दिग्गीराजा’ ने मदद से साफ इनकार करते हुए कह दिया मेरे ‘हाथ’ में कुछ नहीं हैं।
मैं मदद नहीं कर सकता। प्रदेश कांग्रेस के ‘नाथ’ से बात करें, ‘पॉवर’ उन्हीं के ‘हाथ’ में हैं। खबर हैं कि दोनों नेताओं की कांग्रेस में आने की भावनाओं को ‘वर्तमान’ में खारिज कर दिया गया है। ऐसे दोनों नेताओं का ‘मंगल-प्रवेश’, ‘अधर’ में हैं। खैर यह ‘अंतिम निर्णय’ भी नहीं माना जा सकता हैं, क्योंकि राजनीति में कुछ भी होना संभव हैं। नेतागिरी कभी भी कुछ भी हो सकता हैं…।









