मामला दवा बाजार में निर्माण को लेकर विवाद का

बिल्डर के दावे और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह
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कॉमन स्पैस में कंपाउंडिंग लागू नहीं
उज्जैन।दवा बाजार में ओपन स्पैस में दुकानों के निर्माण लेकर बिल्डर के दावे के साथ-साथ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। जानकारों और नियम की माने तो किसी भी बिल्डिंग के नक्शे में दर्शित कॉमन स्पैस में कंपाउंडिंग लागू नहीं होती है। ऐसे में किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है। वहीं दवा बाजार के बिल्डर का कहना है कि उसके द्वारा कंपाउंडिंग की शुल्क जमा कर निर्माण की विधिवत अनुमति ली है।
दवा बाजार में निर्माण पर कंस्ट्रक्शन कंपनी के संचालक का तर्क है कि कंपाउंडिंग फीस जमा की है। नया निर्माण नहीं किया जा रहा है। जो दीवार कमजोर है, उसे पक्का किया जा रहा है। ानकारों का कहना है कि कंपाउंडिंग के संबंध में नियमों का प्रावधान हैं।
इसके तहत बिल्डिंग के स्वीकृत नक्शे में दर्शाए गए कॉमन ओपन स्पैस (हवा-प्रकाश-सुरक्षा के साथ सभी के आने-जाने, उपयोग में आने वाले स्थान) पर किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता हैं।
इसमें कंपाउंडिंग स्कीम लागू नहीं है। कंपाउंडिंग केवल बिल्डिंग के नक्शे दर्शाए एमओएस (मिनिमम ओपन स्पैस ) पर ही एक तय क्षेत्रफल में साइड बेक पर ही किया जा सकता है। यह बिल्डिंग मालिक के स्वनिर्धारण पर होता है। कंपाउंडिंग में तय शुल्क भी जमा किया जाता है। इसमें संबंधित निकाय को मूल्याकंन का अधिकार भी है।
क्या है कंपाउंडिंग
एमओएस या बिल्डिंग के स्वीकृत मानचित्र के विारित निर्माण कार्य करने या होने की स्थिति में कंपाउंडिंग शुल्क जमा कर निर्माण की वैधता प्राप्त की जाती है। इसे आम बोलचाल में समझौता शुल्क भी कहा जाता है। कंपाउंडिंग स्कीम में हाल में शासन ने कुछ बदलाव भी किए है,लेकिन यह केवल एमओएस पर निर्माण के लिए है। कॉमन ओपन स्पैस किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता है और इसके लिए नगर निगम कंपाउंडिंग भी नहीं करती है।
व्यापारियों में आक्रोश
बता दें कि माधव क्लब रोड स्थित दवा बाजार में विवाद की स्थिति निर्मित हो गई। दवा बाजार में व्यापारियों ने अवैध दुकानों का निर्माण किए जाने के आरोप लगाए हैं।
उनका कहना है कि दवा बाजार की खुली जगह पर दुकान का निर्माण किया जा रहा है। इसे लेकर व्यापारियों के आक्रोश के बावजूद गिरिराज कंस्ट्रक्शन के संचालक शैलेंद्र बियाणी यहां दुकान का निर्माण पर अड़े हुए हैं। बियाणी का कहना है कि उनके द्वारा 16 लाख रु. कंपाउंडिंग फीस जमा कर निर्माण की अनुमति ली है।









