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लोन वसूली के लिए जमीन नीलाम, कलेक्टर ने नामांतरण निरस्त किए

किसानों को बड़ी राहत मिली

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उज्जैन :केसीसी लोन की वसूली के नाम पर जमीनों को ओने-पोने दाम पर नीलाम करने का कथित खेल आखिरकर फेल हो गया है। कलेक्टर कोर्ट ने पांच प्रकरणों में नामांकरण निरस्त कर दिए हैं। इससे संबंधित किसानों को बड़ी राहत मिली है और उनकी बेशकीमती जमीन दोबारा उनके स्वामित्व की हो गई है।

 

किसान क्रेडिट कार्ड अंतर्गत लिए लोन की राशि जमा नहीं होने पर संबंधित किसानों की जमीन बिना पूर्व सूचना के नीलाम करने का मामला सामने आया था। किसानों ने शिकायत की थी कि लोन वसूली के उन्हें नोटिस तक नहीं दिए और बाले-बाले उनकी जमीन नीलाम कर दी गई।

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यही नहीं कुछ प्रकरणों में तत्कालीन तहसीलदारों ने नीलामी खरीदार के नाम जमीन का नामांतकरण तक कर दिया। मामले में कुछ राजस्व व बैंक अधिकारी और बैंक के दलाल की मिलीभगत से कतिपय भूमाफियाओं को लाभ पहुचाने के आरोप लगे थे। शिकायत मिलने पर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने जांच शुरू करवाई थी।

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जांच में कुछ प्रकरणों में अनियमितताएं उजागर हुई थी और प्रक्रिया का पूरी तरह पालन नहीं पाया गया था। कलेक्टर कोर्ट ने पांच प्रकरणों में सुनवाई करते हुए नीलामी के बाद किए गए नामांतरण निरस्त कर दिए हैं।

कलेक्टर कोर्ट ने नामांतरण निरस्त करने के साथ ही संबंधित तहसीलदारों को पूर्व की स्थिति निर्मित करने के निर्देश दिए हैं। संबंधित तहसीलदारों ने भी आदेश के पालन में पुन: पूर्व की स्थिति निर्मित कर पालन प्रतिवेदन भी कलेक्टर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिए हैं। मसलन राजस्व रिकार्ड मं उक्त जमीनें फिर संबंधित किसानों के नाम हो गई हैं।

कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत एक प्रकरण में बताया गया था कि कर्नाटक बैंक लिमिटेड शाखा फ्रीगंज ने आवेदन-पत्र आरसीसी पत्र घट्टिया के नागूसिंह पिता फतेसिंह के विरूद्ध केसीसी स्कीम के तहत नौ लाख 90 हजार रुपए की राशि बैंक नियमों के अधीन 9 सितम्बर 2015 को स्वीकृत की गई थी। नागूसिंह उक्त राशि बैंक नियमों के अनुसार समय-सीमा में जमा कराने में असफल रहे जिसके चलते शोध्य रकम 11 लाख 71 हजार 685 रुपए वसूली का उल्लेख आरसीसी आवेदन-पत्र में किया हुआ है।

नागूसिंह के पुत्र अर्जुन सिंह ने कुछ महीने पूर्व कलेक्टर न्यायालय के समक्ष जनसुनवाई के दौरान एक शिकायत की थी। इसमें संबंधित विभागों के तत्कालीन कुछ अधिकारी, बैंक दलाल व अन्य के नामों का उल्लेख करते बैंक ऋण वसूली की आड़ में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद कई किसानों के साथ केसीसी लोन वसूली के नाम पर धोखाधड़ी की शिकायतें प्रशासन के पास पहुंची थीं।

भारतीय किसान संघ ने भी अवैध रूप से किसानों की जमीनें नीलाम करने की शिकायत की थी। अपर कलेक्टर मृणाल मीणा की अध्यक्षता में गठित दल ने केसीसी लोन से जुड़े करीब 600 प्रकरणों को खंगाला था। हालांकि अधिकांश प्रकरण में नीलामी प्रक्रिया नहीं हुई थी। करीब 15 मामले नीलामी से जुड़े होने की बात सामने आई थी। बाद में पांच मामले ऐसे पाए गए जिनमें प्रक्रिया का सही तरीके से पालन नहीं हुआ।

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