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आखिर क्यों नहीं रुक रहे हादसे… शिप्रा नदी में उत्तर प्रदेश का युवक डूबा

सुरक्षा इंतजाम नहीं, कई मौतें हो चुकी लेकिन जिम्मेदार ध्यान ही नहीं दे रहे

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शिप्रा नदी में डूबने से रविवार को फिर एक घर का चिराग बुझ गया। वो उत्तरप्रदेश से बड़ी श्रद्धा लेकर उज्जैन में महाकाल दर्शन और शिप्रा में स्नान अपना जीवन धन्य करने आया था। यहां खुद को धन्य करने के पहले उसका निधन हो गया। पुलिस ने शव बरामद किया और पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

उत्तरप्रदेश के कासगंज तहसील के ग्राम सिरावली का रहने वाला संतोष पिता स्वराज यादव उम्र 35 वर्ष अपने चचेरे भाई दिनेश पिता वासुदेव यादव के साथ आया था। महाकाल दर्शन करने से पूर्व दोनों शिप्रा नदी स्नान के लिए पहुंचे थे। चचेरे भाई दिनेश ने बताया कि वह नदी के बाहर बैठा था और संतोष उसके पहले नदी में स्नान के लिए उतर गया। वह कपड़े उतार ही रहा था कि संतोष डूबने लगा। उसे डूबते देख वह बचाने के लिए चिल्लाया लेकिन तब तक वह नदी में समा गया था। शोर सुनकर होमगार्ड जवान और शिप्रा तैराक दल के सदस्य पहुंचे। उन्होंने करीब 15-20 मिनट में शिप्रा की तलहटी से उसे ढूंढकर बाहर निकाला। संतोष अचेत हो चुका था। उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया। महकाल पुलिस ने परिजनों को सूचना दी। मर्ग कायम कर सोमवार सुबह पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

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3 फीट पानी पर रैलिंग लगाकर हादसों पर नियंत्रण हो सकता है

जाट का कहना है कि वे हर 8-10 दिन में शिप्रा नदी पर निरीक्षण के लिए जाते हैं। जाट के अनुसार रामघाट पर हादसे होने का एक यह भी है कि घाट के भीतर जो स्ट्रक्चर बना है वो ठीक नहीं। यहां श्रद्धालु समझ नहीं पाते कहां कितना पानी है। ओटले पर जहां १ फीट पानी हैं वहीं अगले कदम पर ८ फीट से ज्यादा पानी है। यहां हादसे रोकने के लिए एक उपाय यह है किया जा सकता है कि तीन फीट पानी पर लोहे के रैलिंग लगा दी जाए। जिससे आगे श्रद्धालु नहीं जा सकते हैं।

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क्या श्रद्धालुओं को शिप्रा में स्नान बंद कर देना चाहिए?

जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल सहित होमगार्ड के तीन दर्जन सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बावजूद शिप्रा नदी में हादसे नहीं रूक रहे हैं। हर सप्ताह नदी में डूबकर किसी ना किसी घर का चिराग बुझ रहा है। इन हादसों के लिए कौन जिम्मेदार हैं? क्या श्रद्धालुओं को शिप्रा में नहाना बंद कर देना चाहिए? उज्जैन के हजारों लोग ऐसा कर चुके हैं। अब शहर के गिने चुने लोग ही शिप्रा में स्नान के लिए जाते हैं। हर एक दो दिन श्रद्धालुओं के डूबने से शहर के लोगों में प्रशासनिक व्यवस्थाओं के प्रति आक्रोश है। एसडीईआरएफ के प्रभारी एवं होमगार्ड कमांडर संतोष जाट ने बताया कि तीन शिफ्ट में ३५ से अधिक जवान तैनात रहते हैं।

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