आत्मनियंत्रित मन ही मोक्ष का कारक-आचार्य जीवन

उज्जैन। महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ में लिखा है सत्कार्य करते समय मन में उत्साह उमंग एवं गलत कार्य करते समय मन में शंका लज्जा पैदा होती है। आत्मा के आदेश मन की गलियों से निकल जाते हैं। आत्मा उध्र्व गति वाला जबकि मन अधोगति वाला है। जब तक मन आत्मा के नियंत्रण में नहीं होता तब तक मनुष्य सतोगुण में एवं अच्छे कार्य में रुचि नहीं लेता।

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उक्त विचार आर्य समाज के साप्ताहिक सत्संग में प्रधान आचार्य जीवन प्रकाश आर्य ने व्यक्त किये। रामचंद्र सिलोदिया ने कहा कि सत्य और असत्य का निर्णय तर्क युक्ति, शास्त्र एवं प्रमाणों के आधार पर होना चाहिए।

संतोष जाट ने कहा कि सत्य सनातन वैदिक धर्म के अलावा बाकी सभी अधिकांश मत पंथों के सिद्धांत व धारणाएं अवैज्ञानिक एवं भ्रामक है। प्रारंभ में वैदिक मंत्रों से हवन किया गया एवं ईश प्रार्थना मदन लाल कुमावत ने प्रस्तुत की। भजनों की प्रस्तुति सिलोदिया बहन ने दी। संचालन ललित नागर ने किया।

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