उज्जैन:माधवनगर में मौतों का सिलसिला जारी

कोरोना निगेटिव बता रहे डेथ ऑडिट में
उज्जैन।माधवनगर में दो दिनों में फिर 7 मौते हो गई। इन मौतों को कोरोना निगेटिव्ह बताया गया और डेथ ऑडिट किया गया। मौके पर यह चर्चा रही कि कोरोना संदिग्ध मानते हुए इनका उपचार किया गया। साथ ही परिजनों से कोविड-प्रोटोकाल का पालन करवाया गया। इसके चलते अब चर्चाओं के साथ भय का दौर शुरू हो गया है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए,यह नागरिक क्षेत्रों से मांग है। माधवनगर में दो दिन में फिर मौतों का सिलसिला शुरू हो गया है। एक दिन का गेप छोड़कर पिछले दिनों में कुल सात लोगों की मौत हुई। इन मौतों को लेकर चर्चाओं का दौर छिड़ गया। यहां उपचार करवा रहे भर्ती मरीजों में भी भय का माहौल उत्पन्न हो गया।
इनका कहना है
इस संबंध में चर्चा करने पर सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल ने बताया कि सातों मौतों का डेथ ऑडिट करवाया गया। सातों मौतें शुगर,हार्ट अटैक,बीपी ओर ऐसी ही गंभीर बीमारियों के कारण हुई। चूंकि कोरोना संदिग्ध थे,इसलिए उपचार शा.माधवनगर में चल रहा था लेकिन रिपोर्ट निगेटिव्ह आई थी। उन्होने बताया कि उनके पास इस बात की शिकायत आ गई है कि भर्ती मरीजों के पलंग के पास मृत मरीज के शव रातभर रखे रहे। वे इस मामले में कार्रवाई करेंगे। मृत लोगों की आयु का औसत 50 से उपर था।
दो ऐसे मामले सामने आए, रात भर में पल्स हो गई कम
दो रातों में दो मरीजों के ऐसे मामले सामने आए,जिसमें कोरोना का उपचार करवा रहे मरीजों की पल्स 40 तक आ गई। इसके पिछे का वाकया बताता है कि यदि जो 7 लोग मरे,यदि वे कोरोना संदिग्ध थे तो फिर उनको कोरोना पॉजीटिव्ह मरीजों के साथ वाले पलंगों पर उपचार क्यों दिया जा रहा था? मामला यह है कि दोनों दिन एक-एक कोरोना पॉजीटिव्ह मरीज की तबियत गंभीर रूप से खराब हो गई। सुबह परिजनों को पता चला कि उनके परिजन जिस बेड पर उपचार करवा रहे थे,उसके दोनों ओर उपचाररत मरीजों की मौत हो गई। रातभर वे मरीज, अपने दोनों ओर मृत मरीजों के शवों के बीच सोता रहा और भगवान को याद करता रहा। सुबह उसने परिजनों को बताया कि रात भर वे जमकर डरे। आरोप लगाया कि रात में मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शवों को बेड पर ही छोड़ दिया था,जबकि हाथों हाथ उठाकर मरचुरी में रखना था,जोकि शा.माधवनगर में पिछे की ओर बनाई गई है।