कौन रहेगा..कौन जाएगा..किसी को पता नहीं !
उज्जैन।सीएचएल हॉस्पिटल को 1 अप्रेल से उज्जैन चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा खरीदे जाने के बाद यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। मरीजों की चहल-पहल तो है लेकिन जिन मरीजों को या उनके परिजनों को पता चल गया है कि यह हॉस्पिटल बिक गया है तथा 1 अपे्रल से नया प्रबंधन आ जाएगा, वे यह जानने को उत्सुक दिखाई दे रहे हैं कि आगे क्या होगा…? हालांकि जब मरीज या उनके परिजन इस बात को लेकर यहां के स्टॉफ से जिज्ञासा व्यक्त करते हैं तो स्टॉफ का जवाब आता है: अभी तो हमे ही नहीं पता, कौन रहेगा…कौन जाएगा ?
कोरोनाकाल में लगातार सेवा देकर अपनी जान की बाजी लगा चुके सीएचएल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स एवं स्टॉफ के सामने इस समय आजीविका का संकट आ खड़ा हुआ है। हालांकि नए प्रबंधन ने दो बार बैठक लेकर आश्वस्त किया है कि चिंता न करें, यह हॉस्पिटल जैसा चलता था,वैसा ही चलेगा। लेकिन डॉक्टर्स एवं स्टॉफ के गले यह बात नहीं उतर रही है। इसके पिछे वे कतिपय लोग बताए जा रहे हैं जो कभी आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज या उज्जैन चेरीटेबल हॉस्पिटल में काम कर चुके थे ओर वहां से नौकरी छोड़कर या तो वर्तमान में सीएचएल में काम कर रहे हैं या फिर शहर के ही अन्य किसी हॉस्पिटल में। इन सब बातों को लेकर आनेवाले दिनों में यह हॉस्पिटल क्या करवट लेगा,चर्चाओं का दौर बना हुआ है।
यह है स्टॉफ के समक्ष समस्या
स्टॉफ का चर्चा में कहना है की हमारे पास जो जानकारी है, उस अनुसार डॉ.महाडिक किसी की नहीं सुनते हैं। ऐसे में हम अपनी बात किसके पास जाकर रखें। वर्तमान सीनियर स्टाफ का कहना है कि हम तो दिन काट रहे हैं। हमे ही नहीं पता कि हम भी रहेंगे या नहीं? ऐसे में हम किसके पास जाएं?
स्टॉफ ने बताया- यह हुआ था मिटिंग में
मिटिंग में वर्तमान में सीएचएल ग्रुप इंदौर के राहुल भार्गव तथा डॉ.वी.के. महाडिक आए थे
> श्री भार्गव ने स्टॉफ को बताया कि पिछले 10 सालों से जैसा हम चाह रहे थे,वह हो नहीं हो सका। इंदौर से तमाम डॉक्टर्स भेजे,लेकिन हॉस्पिटल अपना मैंटेनेंस भी नहीं निकाल पा रहा है। ऐसे में हमारे सामने यही विकल्प था कि हम इसे बेच दें। इंदौर में हम कैंसर हॉस्पिटल की यूनिट शुरू करने जा रहे हैं। यदि किसी का लगता है कि वह हमारे साथ ही काम करना चाहता है,तो वहां उसका स्वागत है। यहां का प्रबंधन भी अच्छा ही रहेगा,यह विश्वास है।
>> डॉ.महाडिक ने कहाकि जब भी हमारे या इस हॉस्पिटल के सामने से कोई मरीज ले जाती एम्बुलेंस इंदौर की ओर जाते देखता हूं तो दु:ख होता है कि हम यहां सबकुछ सुविधा दे रहे हैं तो मरीज बाहर क्यों जा रहे हैं? अब सभी का दायित्व है कि हम यहां के मरीजों का यहीं उपचार करें। ताकि वे परेशान न हों। यहां जैसा अभी चल रहा है,वैसा ही चलेगा। कोई परिवर्तन नहीं आएगा। आप सभी को भरोसा दिलाता हूं कि मैं यहां पर अभी जो फैकल्टी नहीं है,उसे भी लेकर आउंगा।