हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को सकट चौथ के अलावा संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी आदि नामों से जाना जाता है। सकट चौथ का व्रत प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन व्रत रखा जाता है और गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। यह व्रत खासतौर पर महिलाओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश संतान के सारे संकटों को दूर करते हैं। आइए जानते हैं इस साल सकट चौथ की तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त…
सकट चौथ 2024 मुहूर्त
अमृत (सर्वोत्तम)- सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक
शुभ (उत्तम) – सुबह 09 बजकर 43 मिनट से सुबह 11 बजकर 14 मिनट स तक
शाम का मुहूर्त – शाम 04 बजकर 37 मिनट से शाम 07 बजकर 37 मिनट तक
इस दन चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत संपन्न होते है. सकट चौथ पर चांद रात 09.10 मिनट पर निकलेगा.
महत्त्व
सकट चौथ व्रत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए व्रत रखती हैं। कहते हैं इस व्रत को करने से बच्चे की जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन भगवान गणे को तिल, गुड़ और गन्ना का भोग चढ़ाया जाता है। इस दिन गणेश जी के अलावा शिव जी, मां पार्वती, चंद्र देव और कार्तिकेय जी की भी पूजा का विधान है।
तिलकुट चौथ पूजा विधि
सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। गणेश जी के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति भी रखें।
गणेश जी और मां लक्ष्मी को रोली और अक्षत लगाएं। फिर पुष्प, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
सकट चौथ में तिल का विशेष महत्व है। इसलिए भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं।
ॐ गं गणपतये नमः: मंत्र का जाप करें।
अंत में सकट चौथ व्रत की कथा सुनें और आरती करें।
रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर सकट चौथ व्रत संपन्न करें।
भोग
सकट चौथ के दिन तिल और गुड़ के 21 या 11 लड्डू का गणपति की भोग लगाएं. मान्यता है इससे बुध दोष खत्म होता है. बप्पा संतान की हर संकट से रक्षा करते हैं.