जिला अस्पताल में मरीज पीड़ा में तडफ़ता रहा, 24 घंटे बाद भी डॉक्टर ने सूध नहीं ली
परिजनों ने अन्य डाक्टर्स से गुहार की, तो जवाब मिला… जिसका केस है वहीं डॉक्टर करेंगे इलाज
मरीज की बेटी ने कहा: भैया डॉक्टर को बुलवा दो…
मंगलवार दोपहर 12-1 बजे देखा था और बुधवार की सुबह 10 बज चुकी है, कोई डॉक्टर नहीं आया
उज्जैन।जिला अस्पताल में डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की कमी अपनी समस्या है, लेकिन जो लोग पदस्थ हैं उनमें से अधिकांश समय पर और ईमानदारी से काम करना नहीं चाहते।
हालात यह हैं कि ओपीडी तो ठीक है वार्डों में भर्ती गंभीर मरीजों को भी समय पर देखने डॉक्टर नहीं पहुंच रहे हैं। बुधवार सुबह 10 बजे एक गंभीर मरीज के परिजनों ने बताया कि मंगलवार दोपहर 12 से 1 के बीच डॉक्टर ने पिता को देखा था। रात भर से उनकी हालत बिगड़ रही है लेकिन सुबह 10 बजे तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आया। अब क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा है।
दूसरे मरीजों को भी 12 घंटे से कोई डॉक्टर देखने नहीं आया
इसी वार्ड में भर्ती मुश्ताक निवासी माकड़ोन मारपीट में घायल होकर उपचार करवा रहा है। गोकुल निवासी बडऩगर भी रात 12 बजे इसी वार्ड में भर्ती हुआ। मुश्ताक का कहना था कि कल ही डॉक्टर चेक करने आये थे शाम या रात के समय कोई डॉक्टर नहीं आया। गोकुल ने बताया कि वह बडऩगर अस्पताल में हालत गंभीर होने पर उज्जैन जिला अस्पताल रैफर हुआ। रात 12 बजे से सुबह 10 बज चुके हैं कोई डॉक्टर देखने नहीं आया।
बापूलाल निवासी श्रीकृष्ण कालोनी पेट में गठान की परेशानी होने से तीन दिन पहले जिला अस्पताल के बी वार्ड में भर्ती हुए थे। उनके परिजनों ने बताया कि डॉक्टर ने सोनोग्राफी के लिये लिखा। सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी नहीं हुई तो प्रायवेट अस्पताल ले गये जहां 1000 रुपये देकर बापूलाल के पेट की सोनोग्राफी करवाई। मंगलवार दोपहर में उनकी तबियत अधिक खराब हुई तो तीन डॉक्टर देखने आये।
पेट में नली डालने का कहा और बोले यह केस डॉ. कंठारिया का है वही देखेंगे। उसके बाद आज बुधवार सुबह के 10 बज चुके हैं कोई डॉक्टर देखने नहीं आया, जबकि रात में बापूलाल की हालत गंभीर होने पर बार-बार नर्स के पास गये और बोला डॉक्टर साहब को बुलवा दो उसके बाद भी कोई नहीं आया। अभी भी पिता दर्द और तकलीफ से कराह रहे हैं, नर्स कह रही हैं डॉक्टर साहब 10 बजे बाद आते हैं। कब आएंगे किसी को पता नहीं।
यह हैं डॉक्टरों की ड्यूटी के नियम
जिला अस्पताल में वार्डों में भर्ती मरीजों की जांच, उपचार के लिये डॉक्टरों की शिफ्ट के हिसाब से ड्यूटी लगाई जाती है। नियमानुसार सुबह 9 बजे डॉक्टरों को अस्पताल पहुंचकर सबसे पहले अपने-अपने वार्डों में राउंड लेकर मरीजों को देखना होता है। इसके बाद 10 बजे से ओपीडी में बैठकर बीमार मरीजों का उपचार करना होता है।
यह है वार्डों की स्थिति डी-वार्ड महिला मेडिसीन
डॉक्टर ए. निगम की ड्यूटी
समय सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक
समय सुबह 10.00 बजे
वार्ड मरीजों से भरा हुआ था। नर्सिंग स्टाफ पूरी तैयारी में डॉक्टर का इंतजार करते हुए। पूछताछ में पता चला कि डॉक्टर साहब 10 से 11 बजे के बीच ही राउण्ड पर आते हैं।
बी वार्ड पुरुष सर्जिकल
डॉ. मुंशी खान की कॉल ड्यूटी व डॉ. ए. कंठानिया की मेन ड्यूटी
बोर्ड पर ड्यूटी समय का कोई उल्लेख नहीं
सुबह 10.00 बजे डॉ. मुंशी खान का में प्रवेश हुआ। डॉ.ए. कंठानिया का कोई अता पता नहीं था। मरीजों को मंगलवार दोपहर तक किसी डॉक्टर ने चेक नहीं किया। स्टाफ के भरोसे मरीज भर्ती थे। इन्हीं में से एक मरीज की हालत गंभीर होती जा रही थी।
जब सिविल सर्जन ही 10.30 तक अस्पताल नहीं आते तो स्टाफ का क्या…जिला अस्पताल में डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ के समय पर ड्यूटी आने की बात उस समय बेमानी हो जाती है, जब प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. पी.एन. वर्मा के अस्पताल पहुंचने का ही कोई समय निश्चित नहीं है।
डॉ. वर्मा से वार्डों में डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं होने के संबंध में जिला अस्पताल ऑफिस पहुंचे जहां दरवाजे बंद थे। कर्मचारी बोला साहब नहीं आये, चरक में होंगे। चरक अस्पताल में गेट पर ताला था। यहीं से फोन पर 10.30 बजे बात की तो उन्होंने कहा अभी घर से निकल रहा हूं। जब सिविल सर्जन स्वयं 10.30 बजे तक अपने कर्तव्य स्थल पर नहीं पहुंचते तो स्टाफ का लापरवाह होना कोई बड़ी बात नहीं।
हम करेंगे मदद
जिला अस्पताल, चरक भवन और माधव नगर अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर कोई शिकायत है तो अक्षर विश्व पीडि़त व्यक्ति की मदद करेगा। इसके लिए हमारे नंबर 91742-91743 पर संपर्क करें।