सांसद निधि से नवनिर्मित पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागृह का लोकार्पण सम्पन्न

By AV NEWS

प्रभु श्रीराम का जीवन सदभावना और सामाजिक समानता का अनुकरणीय उदाहरण – डॉ विजेन्द्र बत्रा

मुंबई, 30 जनवरी। विद्या प्रसारक संस्था संचालित सर्वोदय महाविद्यालय, सिंदेवाही के परिसर में गढ़चिरौली चिमूर लोकसभा क्षेत्र के सांसद अशोक नेते की सांसद निधि से नवनिर्मित पं. दीनदयाल उपाध्याय सभागृह के लोकार्पण के साथ संस्था द्वारा संचालित विद्या शाखाओं के सेवानिवृत कर्मचारियों का सत्कार एवं वार्षिकोत्सव संयुक्त रूप से सम्पन्न हुआ।

इस गरिमापूर्ण समारोह में ब्रम्हपुरी सिंदेवाही के पूर्व विधायक अतुल देशकर, संस्था के अध्यक्ष योगेंद्र जैस्वाल, सचिव अरविंद जैस्वाल, सह सचिव मनोहर नन्नेवार की प्रमुख उपस्थिति रही। समारोह के प्रथम चरण में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य एवं महाविद्यालय के सेवानिवृत्त कार्यकारी प्राचार्य डॉ. विजेन्द्र बत्रा ने राजकुमार राम से प्रभु श्री रामचंद्र बनने तक की यात्रा में महर्षि वाल्मीकि, केवट एवं शबरी के चरित्रों की रोचक व्याख्या की। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लुटेरे और डाकू की तरह जीवन व्यतीत करने वाले रत्नाकर की प्रथम भेंट देव ऋषि नारद को लूटने के उद्देश्य से हुई और नारद ने उन्हें पाप कृत्य को छोड़कर राम नाम का जप करने का ज्ञान दिया।

तब रत्नाकर ने सालों तक मरा मरा नाम का जप किया और जब उन्हें प्रभु श्री राम की कृपा से अलौकिक ज्ञान प्राप्त हुआ, तब उन्होंने देवभाषा संस्कृत में रामायण महाकाव्य की रचना की। डॉ. बत्रा ने बताया कि राजकुमार राम की वनवास यात्रा के प्रथम चरण में उनकी भेंट आदिवासियों, मल्लाह, भील, मझवार और बिंद समाज के राजा निषादराज से हुई। तब निषादराज ने अपने सहपाठी राम को सपरिवार उनके महल में रहकर वनवास पूर्ण करने की याचना की। तब श्रीराम ने उसे पालकों के आदेश एवं धर्म विरुद्ध आचरण बताया। निषादराज ने केवट को राम, लक्ष्मण और सीता को गंगा पार करवाने का निर्देश दिया, तब केवट ने कहा कि प्रभु श्रीराम के चरण कमल स्पर्श से पत्थर की शिला नारी बनकर देव लोक चली गई।

यदि मैं आपको लकड़ी से बनी नाव पर नदी पार कराऊंगा, तो यह भी नारी बनकर उड जायेगी। यही मेरी रोजी, रोटी जीवन यापन का साधन है, इसलिये यदि आप मुझे अपने चरण कमल पखारने देंगे, तभी मैं आपको गंगा पार कराऊंगा। प्रभु द्वारा मुस्कुराकर हामी भरने के बाद केवट ने सपरिवार उनके चरणों को पखारा, चरणामृत पिया एवं निषादराज सहित सभी को अपनी नाव से गंगा पार करवाया। इसी प्रकार भक्ति की पराकाष्ठा माँ शबरी के प्रसंग पर डॉ. बत्रा ने भीलनी की अविचल भक्ति, एवं प्रभु प्रतीक्षा में शबरी द्वारा प्रतिदिन प्रभु के आगमन की तैयारी का गुणगान किया। उन्होंने श्रीराम द्वारा जूठे बेर खाने एवं शबरी को माँ के सदृश सम्मान देने के प्रसंग को अतुलनीय भक्ति एवं नारी सम्मान का प्रेरणादायक और अनुकरणीय उदारण बताया। समारोह के दूसरे चरण में सेवानिवृत प्राचार्य डॉ. विजेन्द्र बत्रा एवं अन्य कर्मचारियों और श्रेष्ठ विद्यार्थियों का सत्कार संस्था के अध्यक्ष योगेंद्र जैस्वाल और सचिव अरविंद जैस्वाल के साथ मनोहर नन्नेवार एवं पूर्व विधायक अतुल देशकर द्वारा किया गया।

इस अवसर पर डॉ राजेश डाहरे ने वार्षिकोत्सव कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। पूर्व विधायक अतुल देशकर ने संस्था के कार्यो की सराहना करते हुए उन्हें सांसद निधि से वरिष्ठ नागरिकों के व्यायाम के लिये उपकरण दिलवाने का आश्वासन दिया। योगेंद्र जैसवाल ने विद्यार्थियों के हित में संस्था के मानस और लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर वरिष्ठ राजनेता नागराज गेडाम, राजू पाटील बोरकर, पूर्व उप सभापति रिलेश अलमस्त, गोपीचंद गणवीर, कमलाकर सिध्दम शेटटीवार, लोकनाथ बोरकर भी विशिष्ट अतिथियों के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन नितीन खोब्रागडे और डॉ रिजवान शेख ने किया। प्राचार्या संगीता यादव, अंकुश नंदनवार, डॉ. सिद्धार्थ मदारे, प्रा. अमित उके सहित विभिन्न शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने समारोह की सफलता में सक्रिय भूमिका निभाई। आभार प्रदर्शन डॉ लेमदेव नागलवाडे ने किया।

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