अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:चिमनगंज मंडी थाना क्षेत्र के रतन गोल्ड कॉलोनी में रहने वाले 15 वर्षीय छात्र ने बुधवार दोपहर अपने कमरे में फांसी लगा ली। वह सांवेर रोड स्थित निजी स्कूल में 9वीं कक्षा में अध्ययनरत था। घटना से पहले माता-पिता स्कूल प्रबंधन से मिलकर आए थे। पुलिस मामले में जांच कर रही है।
पुलिस ने बताया रतन गोल्ड में रहने वाले ललित परिहार के 15 वर्षीय बेटे मीत सांवेर रोड स्थित निजी स्कूल में कक्षा ९वीं का छात्र था। बुधवार को स्कूल प्रबंधन ने छात्र की पढ़ाई को लेकर माता-पिता को स्कूल बुलाया था। सुबह मां रीना परिहार बड़े बेटे आयुष को लेकर स्कूल पहुंची। यहां स्कूल प्रबंधन से चर्चा के बाद दोपहर 12:30 बजे छुट्टी होने पर मीत को भी स्कूल से लेकर आ गए थे। पढ़ाई की बात को लेकर मां ने बेटे को समझाइश दी। भोजन के बाद वह अपने कमरे में चला गया। इधर मां बड़े बेटे के साथ डॉक्टर के क्लीनिक पर दाढ़ दर्द की दवाई लेने गई थी।
एक घंटे बाद जब वापस आए तो कमरे में छात्र फांसी के फंदे पर लटका मिला। बेटे को फंदे पर लटका देखकर मां ने शोर मचाया। आवाज सुनकर बड़ा बेटा ऊपर पहुंचा। पड़ोसी भी एकत्रित हो गए। उन्होंने छात्र को फंदे से नीचे उतारा और अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव बरामद किया। पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया। किशोर की मौत के बाद जिला अस्पताल में दोस्तों, रिश्तोदारों की भीड़ इकट्ठा हो गई।
मन के विकारों को समझना पड़ेगा
15 साल के किशोर द्वारा आत्महत्या करना सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय है। यदि इस उम्र के बच्चों की मानसिकता आत्मघाती कदम उठाने की हो जाए तो निश्चित रूप से यह समाज की विषमताओं को दर्शाता है। नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी की सोच में सामंजस्यता की बहुत ज्यादा कमी हो गई है।
डॉ. विनित अग्रवाल का कहना है कि लोग मानसिक रोगों की अनदेखी कर रहे हैं। आत्महत्या का विचार आना मनोरोग की श्रेणी में ही आता है यदि कोई १५ साल का बच्चा आत्महत्या जैसा कदम उठा रहा है तो यह बात निश्चित है कि उसने पूर्व में संकेत दिए हो कि उसके मन में किसी बात का डर है या वो अपनी किसी बात को मनवाने के लिए आत्महत्या करने जैसी बात कर चुका है। बच्चे के मन के विकारों को समझने की जरूरत है।