हम जीवन से घोर अपेक्षा करते है: जिनचन्द्रसूरि…

उज्जैन। जीव ओर अजीव दो ही तत्व से जगत रचा हुआ है। हम जीवन है लिविंग बिइंग, किन्तु नॉन बिइंग अजीव के साथ तादात्मय संशय के भ्रमजाल में घेर लेता है कि हम जीवन की घोर उपेक्षा करते है और अजीव को ही सब कुछ मानकर जीते हुए अपनी ही आत्मा में निहित अनंत सुख से पीठ फेरे हुए जीवन को दु:ख बंधन में उलझाए चले जाते है। यह बात जैनाचार्य जिनचन्द्रसूरि महाराज ने शांतिनाथ उपाश्रय में अध्यात्मिक देशना प्रदान करते हुए कही। यति अमृतसुंदर , मुमुक्षु भाई विकास , मुमुक्षुणी बहन अंजलि राखेचा ने सत्य साधना ध्यान पर अपने अनुभवों से सबको प्रेेरित किया। आभार निर्मल सकलेचा द्वारा प्रस्तुत किया गया। यह जानकारी सत्य साधना केन्द्र प्रवक्ता विजय नारेलिया ने दी।

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