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उज्जैन:शहर नहीं बन सका कैटल फ्री…

चुनावी मुद्दे से गायब ‘मवेशी’ बरसात होते ही फिर नजर आने लगे सड़कों पर

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उज्जैन।सरकार ने वर्ष 2016 में प्रदेश के समस्त बड़े शहरों के रिहायशी इलाकों में पशुपालन पर रोक लगाकर इनको कैटल फ्री (पशु-मुक्त) घोषित किया था। इंदौर नगर निगम ने एक साल में ही पूरे शहर को कैटल फ्री कर दिया। वहीं छह साल बाद भी उज्जैन कैटल फ्री शहर नहीं बन पाया।

रहवासियों को उम्मीद थी कि इस बार के चुनाव में हो सकता है कि शहर के मवेशी मुद्दा बने, लेकिन दोनों ही प्रत्याशियों के घोषणा पत्र में कैटल-फ्री शहर का विषय नहीं है। चुनावी मुद्दों से गायब रहे मवेशी बरसात के आते ही सड़कों पर आने लगे है। सड़कों पर घूमते और कूड़ा खाते मवेशियों के नजारे आम हो गए हैं। ऐसा लग रहा है मानों शहर की सड़कों पर मवेशी राज पसरा हुआ है।

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मुख्य मार्गों से लेकर रिहायशी क्षेत्रों की सड़कों पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा है। मुख्य मार्ग पर मवेशियों का जमावड़ा यातायात के लिए एक बड़ी समस्या बन गई। दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा रहता है। इससे वाहन चालकों सहित राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है

रात के समय सबसे ज्यादा खतरा

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सड़कों पर बैठे आवारा पशुओं से बचकर दिन में तो जैसे-तैसे वाहनों निकल जाते है,लेकिन वाहन चालकों को रात के समय सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। होती है। आवारा पशु बीच सड़क पर बैठे रहते हैं। तेज गति से आवागमन वाले वाहन चालकों को यह जानवर दिखाई नहीं देते जिसके कारण दुर्घटना घट जाती है।

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