उज्जैन : यात्री कम, नियमित ट्रेनें चल रही सप्ताह में तीन दिन

By AV NEWS

स्टेशन सुनसान…चार्ट निकलने से पहले तक कन्फर्म हो रहा रिजर्वेशन, जरूरी होने पर ही लोग कर रहे यात्रा

उज्जैन। कोरोना की दूसरी लहर से सचेत हुए लोग अब एक शहर से दूसरे शहर आवागमन से परहेज कर रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि स्टेशन के प्लेटफार्म सूने पड़े हैं। जिन ट्रेनों में रिजर्वेशन के लिये वेटिंग लगती उनके चार्ट निकलने तक कन्फर्म टिकिट मिल रहे हैं। यात्रियों की कमी के कारण रेलवे को अनेक नियमित ट्रेनों को सप्ताह में तीन दिन चलाना पड़ रहा है, जबकि कुछ ट्रेनों का परिचालन रद्द भी किया गया है।
इंदौर से मुंबई के लिये रेलवे द्वारा अवंतिका एक्सप्रेस का नियमित संचालन किया जा रहा था।

स्थिति यह थी कि मुंबई जाने वाले यात्रियों को रिजर्वेशन के लिये वेटिंग टिकिट मिल रही थी, लेकिन मुंबई में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की स्थिति भयावह होने के कारण अब लोग मुंबई के लिये ट्रेन से यात्रा नहीं कर रहे। इस कारण अवंतिका एक्सप्रेस को प्रतिदिन के स्थान पर सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को संचालित किया जा रहा है। उक्त ट्रेन मुंबई से आकर इसी दिन मुंबई के लिये रवाना भी हो रही है। ऐसी ही स्थिति उदयपुर एक्सप्रेस, गांधी नगर एक्सप्रेस की है। यह ट्रेनें प्रतिदिन संचालित होती थी लेकिन वर्तमान में इन्हें भी सप्ताह में तीन दिन चलाया जा रहा है।

इंदौर, रतलाम के लिए लोकल

नागदा-गुना-बीना के बीच चलने वाली फास्ट पैसेंजर ट्रेन को रेलवे प्रशासन द्वारा स्पेशल एक्सप्रेस बनाकर पुन: शुरू किया गया था लेकिन इस रूट पर यात्रियों की संख्या न के बराबर रही इस कारण इसे बंद करना पड़ा, जबकि उज्जैन से इंदौर और उज्जैन से रतलाम के लिये दो लोकल ट्रेनों का संचालन अभी जारी है। हालांकि इन ट्रेनों में भी यात्रियों की संख्या कम ही हैं।

लंबी दूरी की ट्रेनों में रिजर्वेशन जरूरी

अनलॉक 1.0 के बाद रेलवे द्वारा कोरोना गाइड लाइन के मुताबिक बिना रिजर्वेशन ट्रेनों में यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया था। यह नियम अब भी लागू है। लंबी दूरी की ट्रेनों में जनरल कोच से लेकर एसी कोच तक किसी में भी यात्रा के पहले यात्री को रिजर्वेशन कराना अनिवार्य है।

ट्रेनें तो आ रही लेकिन यात्री नहीं

रेलवे स्टेशन पर सामान्य दिनों की तरह उतनी ट्रेनों का आवागमन नहीं हो रहा लेकिन कुछ ट्रेनें आ रही हैं जिनमें यात्रियों की संख्या भी नाममात्र की बनी हुई है। स्टेशन परिसर और प्लेटफार्म जो सामान्य दिनों में 24 घंटे यात्रियों से भरे रहते थे वहां अब खौफजदा सन्नाटा पसरा पड़ा है।

स्टेशन के वेटिंग हाल में इक्का-दुक्का लोग ही नजर आ रहे हैं। लोग जरूरी होने पर ही ट्रेनों से यात्रा कर रहे है।

हमेशा सैकड़ों लोगों से भरा रहने वाले स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर 1 भी यात्रियों के अभाव में सुनसान ही रहता है।

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