आईएमए से जुड़े डॉक्टर्स भी बंद रखेंगे अपने क्लिनिक….
उज्जैन। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन की उज्जैन इकाई ने गुरुवार को एक बैठक करने के बाद मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन को चेतावनी दी कि उनकी मांगें मंजूर नहीं होने पर वे 14 नवंबर से हड़ताल पर जाएंगे और जिले के सभी प्रायवेट हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम बंद कर देंगे।
जो भी मरीज आएंगे, उन्हें सिविल हॉस्पिटल रैफर किया जाएगा। आईएमए से जुड़े डॉक्टर्स ने भी अपने क्लिनिक बंद रखने का फैसला सुनाते हुए समर्थन दे दिया है। गुरुवार को संपन्न जिले के सभी प्रायवेट हॉस्पिटल्स एवं नर्सिंग होम के संचालकों की बैठक के बाद जानकारी देते हुए प्रायवेट हॉस्पिटल्स एवं नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विजय अग्रवाल ने बताया कि बैठक में यह बात सामने आई कि शासकीय नीतियों के चलते प्रायवेट चिकित्सा संस्थान चलाना मुश्किल हो गया है।
ऐसे कानून बन गए हैं, जिनसे चिकित्सक प्रताडि़त हो रहे हैं। ऐसे कानूनों को रद्द किया जाए तथा वर्तमान में संचालित एवं प्रारंभ होने वाले प्रायवेट हॉस्पिटल्स एवं नर्सिंग होम को पूर्ववत अनुमति दी जाए। ऐसा न होने पर 14 नवंबर से सभी हड़ताल पर चले जाएंगे।
उपकरणों की जांच करके एनओसी दें
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि भवन निर्माण अनुज्ञा, भवन पूर्णता अनुज्ञा, फायर सेफ्टी अनापत्ति प्रमाण पत्र, आवासीय एवं व्यावसायिक परिसर आदि की अनुमति पूर्ववत दी जाए। इन्हें निर्देश है कि चार बार नोटिस दिए जाएंगे। जवाब नहीं देने पर या संतुष्ट नहीं पाए जाने पर अनुमति निरस्त कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि शासन से यह मांग है कि फायर एनओसी को भवन एनओसी से अलग किया जाए तथा सभी हॉस्पिटल्स को परमिशन दी जाए। जो हॉस्पिटल्स अभी चल रहे हैं, उनके यहां फायर ऑफिसर जाए तथा उपकरणों की जांच करके एनओसी दें। पंजीयन के रिनिव्हल के लिए नई शर्तों को हटाया जाए।
हड़ताल को डॉक्टर्स ने भी दिया समर्थन
डॉक्टर्स/संचालकों ने चेतावनी दी कि यदि हॉस्पिटल्स की परमिशन निरस्त की गई या नए आवेदन को स्वीकृति नहीं दी गई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल 14 नवंबर से प्रारंभ हो जाएगी। इस हड़ताल को आयएमए से जुड़े डॉक्टर्स ने भी समर्थन दे दिया है। उनके अनुसार वे अपने क्लिनिक बंद रखेंगे।
इनका कहना है
डॉ. विजय अग्रवाल के अनुसार जिले के शासकीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं आयएमए के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक बुलाई जाए ताकि हल निकाला जा सके। पिछले तीन माह से इन बातों को लेकर अधिकारियों से मिल रहे हैं, जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकल पा रहा है।