मैनेजर का कहना… हमने पुलिस को प्रोवाइड करा दिया
सीएसपी बोले… सेटअप नहीं मिला
एफएसएल अधिकारी ने कहा… जांच डीवीआर पर निर्भर
उज्जैन।पोहा फैक्ट्री अग्निकांड की एफएसएल जांच में फैक्ट्री लगे सीसीटीवी, डीवीआर का डॉटा अहम तथ्य हो सकता है,लेकिन यह डीवीआर फिलहाल तो पुलिस के लिए किसी पहली से कम नहीं है। दरअसल डीवीआर के मामले में सीएसपी का कहना है कि पुलिस को डीवीआर का ओरिजनल सेटअप नहीं मिला हैं। वहीं पोहा फैक्ट्री मैनेजर ने बताया कि हमने पुलिस को डीवीआर प्रोवाइड करा दिया था।
पोहा फैक्ट्री अग्निकांड में एफएसएल जांच करने वाली एफएसएल अधिकारी डॉ. प्रीति गायकवाड का कहना है कि पोहा फैक्ट्री में लगे सीसीटीवी कैमरों का डीवीआर ही पुलिस के पास अहम सबूत है क्योंकि कैमरे की लोकेशन घटना स्थल के ठीक सामने थी।
पूरी जांच डीवीआर पर निर्भर हैं। डॉ. गायकवाड ने बताया कि डीवीआर पुलिस के पास है जिससे वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है। इसके विपरीत सीएसपी नागझिरी विनोद मीणा के अनुसार ओरिजनल डीवीआर पुलिस को नहीं मिला है। घटना के समय संभवत: मैनेजर डीवीआर लेकर चला गया था जिसकी तलाश की जा रही है। वहीं मैनेजर सागर यादव ने मोबाइल पर चर्चा में बताया कि हमने पुलिस को डीवीआर प्रोवाइड करा दिया था।
अब तक शुरू नहीं हुई जांच
पुलिस को मृत महिलाओं के परिजनों के बयान दर्ज करना थे, इसके अलावा फैक्ट्री के मैनेजर सागर यादव, मालिक राकेश बिंदल के बयान दर्ज करने के अलावा फैक्ट्री में आग लगने के कारणों और बचाव के यंत्रों की भी जांच करना थी लेकिन 4 दिन बाद भी पुलिस अब तक जांच शुरू नहीं कर पाई है।
वायर जब्त किये, रिपोर्ट 2-3 माह में
एफएसएल अधिकारी डॉ. प्रीति गायकवाड ने पोहा फैक्ट्री का निरीक्षण किया है। यहां से जले हुए वायर भी जब्त किये हैं जिसकी जांच के लिये सागर स्थित लैब भेजा जायेगा। लेकिन लैब से इसकी रिपोर्ट आने में 2 से ३ माह का समय लग सकता है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
डॉ. प्रीति गायकवाड ने बताया कि फैक्ट्री का क्षेत्र काफी बडा है, जिसका निरीक्षण कर निम्न बिंदुओं की जांच होगी।
आग लगने के बाद महिलाएं बाहर क्यों नहीं निकल पाईं।
आग लगने का सही कारण क्या था।
यदि शार्ट सर्किट से आग लगी तो इतनी तेजी से कैसे फैली।
पल्ली गिरने की बात भी सामने आई थी उसके सबूत मिले हैं, लेकिन पल्ली क्यों बांधी गई थी इसकी भी जांच होगी।
शार्ट सर्किट होता तो एमसीबी गिरती, पूरी फैक्ट्री की बिजली गुल होती।
फैक्ट्री में फायर अलार्म और सुरक्षा के उपकरण भी नहीं थे।
यह भी प्रशासनिक जांच का बिन्दु: औद्योगिक सुरक्षा कानून के तहत उद्योगों को काम करने वालों की सुरक्षा के लिए नियम है। फैक्ट्री में इसका पालन हो रहा था कि नहीं…