प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने ही बोर्ड से मिटा दिया मोबाइल नंबर

यह हैं खिलचीपुर संजीवनी क्लीनिक के हाल…

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उज्जैन। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा गरीबों, मजदूरों और जरूरतमंदों की सुविधा के लिये शहर के विभिन्न क्षेत्रों में संजीवनी क्लीनिक खोले हैं ताकि लोगों को उपचार की सुविधाएं और समय पर दवाएं उपलब्ध हो सकें, लेकिन शासन की महत्वाकांक्षी योजना को क्लीनिक में पदस्थ स्टाफ द्वारा ही पलिता लगाया जा रहा है।

खिलचीपुर नाका आगर रोड स्थित शासकीय संजीवनी क्लीनिक क्लीनिक में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के अलावा दो स्टाफ नर्स, एक मल्टी टास्क वर्कर व एक अन्य को पदस्थ किया गया है। वर्तमान में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मधुलिका यादव बुधवार को क्लिनिक में अनुपस्थित मिलीं।

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मोबाइल नंबर जानने का प्रयास किया तो पता चला कि दीवार पर लगे सूचना बोर्ड का नंबर मैडम ने स्वयं मिटा दिया है। वह अपना मोबाइल नंबर किसी को नहीं देतीं। कर्मचारी से मैडम का मोबाइल नंबर लेकर संपर्क किया तो उनका जवाब था परिवार में गमी के कारण अवकाश पर हूं। कितने दिन के अवकाश पर हैं तो बताया 4-5 दिन के अवकाश पर हूं। गुरुवार को ज्वाईन करूंगी।

एक घंटे बाद जवाब मिला आवेदन दिया है

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संजीवनी क्लीनिक की चिकित्सा अधिकारी अवकाश पर हैं इसका उन्होंने सीएमएचओ कार्यालय में आवेदन दिया था कि नहीं तो कार्यक्रम अधिकारी दिलीप वासुनिया का कहना था कि 10 मिनिट बाद स्थापना विभाग से जानकारी लेकर बताता हूं फिर एक घंटे बाद उन्होंने बताया कि मैडम अवकाश का आवेदन दे गई हैं, कितने दिन का दे गई हैं तो वह स्पष्ट नहीं कर पाये साथ ही कारण भी नहीं बता पाये।

यह है लोगों की समस्या….

खिलचीपुर नाका के शासकीय संजीवनी क्लीनिक के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि क्लीनिक समय पर नहीं खुलता, डॉक्टर मैडम 12 बजे के बाद आती हैं और 3 बजे के पहले चली जाती हैं। इस दौरान मरीजों को उपचार सुविधा नहीं मिल पाती। बाकि स्टाफ के लोग भी फुर्सत में ही बैठे रहते हैं।

एक माह पहले मैनेजर ने किया था निरीक्षण

सीएमएचओ कार्यालय के अधीन इस संजीवनी क्लीनिक में जरूरतमंदों का उपचार हो रहा है या नहीं, स्टाफ समय पर आता है कि नहीं, व्यवस्थाओं में कुछ कमी तो नहीं इसकी निगरानी के लिये अफसरों की एक टीम बनी है। इसी टीम में शामिल पब्लिक हैल्थ मैनेजर पाटीदार से जब चर्चा की गई कि संजीवनी क्लीनिक की मैडम 4-5 दिन की छुट्टी पर हैं तो दूसरे डॉक्टर को भेजा गया है या एक डॉक्टर के छुट्टी पर जाने के बाद क्लीनिक में ताला लगा दिया जाता है।

पाटीदार का कहना था कि इतनी लंबी छुट्टी किसी को नहीं दी जाती। यदि दी गई है तो दूसरे कर्मचारी क्लिनिक पर बैठते हैं और मरीज आते हैं तो उन्हें दूसरे क्लिनिक भेजा जाता है। हालांकि डॉ. मधुलिका यादव ने आवेदन देकर अवकाश लिया कि नहीं इसकी जानकारी कार्यक्रम अधिकारी वासुनिया साहब दे पाएंगे।

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